Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-७०
___ यहाँ मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छित्ति ७ की, बन्धप्रकृति १०१, अबन्ध का अभाव है। सासादनगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति २४, बन्ध ९४ प्रकृति का और अबन्धरूप प्रकृति ७ हैं। सर्व भवनत्रिक और कल्पवासीदेवाङ्गनाओं की निर्वृत्यपर्याप्तावस्था में बन्धयोग्य प्रकृति १०१। गुणस्थान २। गुणस्थान | बन्ध | अबन्ध | व्युच्छित्ति
विशेष मिथ्यात्व
७ (मिथ्यात्व-हुण्डकसंस्थानादि पूर्वोक्त) सासादन ९४ | ७ | २४ २४ (२५-१ तिर्यञ्चायु)
सौधर्म-ईशानस्वर्गसम्बन्धी निवृत्त्यपर्याप्तकअवस्था में तीर्थक्करसहित बन्धयोग्य प्रकृति १०२ हैं। गुणस्थानमिथ्यात्व-सासादन-असंयत ये तीन हैं। यहाँ मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ७, बन्धरूप प्रकृति तीर्थकरबिना १०१ और अबन्ध १ का, सासादनगुणस्थान में तिर्यञ्चायु बिना व्युच्छित्ति २४ प्रकृति की, बंधप्रकृति ९४ और अबन्धरूप प्रकृति ८ हैं। असंयतगुणस्थान में मनुष्यायुबिना ९ प्रकृति व्युच्छित्तिरूप हैं, बन्धप्रकृति ७१, अबन्धप्रकृति ३१ । सौधर्म-ईशानस्वर्गसम्बन्धी निर्वृत्यपर्याप्तावस्था में बन्धयोग्यप्रकृति १०२ तथा गुणस्थान तीन हैं। गुणस्थान | बन्ध | अबन्ध
विशेष मिथ्यात्व
१ (तीर्थकर) ७ (मिथ्यात्वादि पूर्वोक्त) सासादन । ९४
२४ (पूर्वोक्त) असंयत
३१ (२४ +८-१ तीर्थङ्कर) ९ (गुणस्थानोक्त
१०-५ मनुष्यायु) सनत्कुमार से सहस्रारपर्यंत १० स्वर्गों की निर्वृत्त्यपर्याप्तावस्था में बन्धयोग्य प्रकृति ९९ । गुणस्थान तीन। यहाँ मिथ्यात्वगुणस्थान में बन्धव्युच्छित्ति मिथ्यात्वादि चार प्रकृतियों की है, बन्ध तीर्थकरबिना ९८ प्रकृति का और अबन्धरूप प्रकृति १ । सासादनगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति २४, बन्धप्रकृति ९४ एवं अबन्धप्रकृति ५। असंयतगुणस्थान में व्युच्छित्ति ९ प्रकृति की, बन्धप्रकृति तीर्थङ्करसहित ७१ और अबन्धप्रकृति २८ हैं।
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