Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
असयत
| बद्धायुष्क ।
की अपेक्षा ११वाँ स्थान
गोम्मटसार कर्मकाण्ड-३७७ २ । १४२ । १४२ (१४८-६, तिर्यञ्चायु, अन्य कोई
एक आयु, आहारकचतुष्क) बद्धायुष्ककी अपेक्षा दूसरे स्थान में कथित २ भंगों के समान ही यहां भी दोभंग हैं।
असयत
अबद्धायुष्क की अपेक्षा ११वां स्थान
___ उपर्युक्त १४२ प्रकृति में से बध्यमान-आयु कम करने पर १४१ प्रकृति का सत्त्व पाया जाता है।
३ भंग इस प्रकार हैं१. भुज्यमाननरकायु २. भुज्यमान मनुष्यायु ३. भुज्यमानदेवायु।
असंयत
२
।
बद्घायुष्क | की अपेक्षा १२वौँ स्थान
१३८ | १३८ (बद्धायुष्कके ११वें स्थानमें कथित १३८
१४२-४ अनन्तानुबन्धी कषाय) २ भंग, बद्धायुष्ककी अपेक्षा कथित द्वितीयस्थान के समान ही जानना ।
असयत
अबद्धायुष्क की अपेक्षा १२वाँ स्थान
१३७ (अबद्धायुष्क की अपेक्षा कथित ११वें
स्थानकी १४१ प्रकृतियों में से
अनन्तानुबन्धीकषाय ४ कम की) ३ भंग इस प्रकार हैं - १. भुज्यमाननरकायु, २. भुज्यमानमनुष्यायु ३. भुज्यमानदेवायु
असंयत
१३७
बद्धायुष्क की अपेक्षा १३वाँ स्थान
| १३७ (बद्धायुष्ककी अपेक्षा १२वें स्थानमें
कथित १३८ प्रकृतियोंमें १ मिथ्यात्वप्रकृति कम की) २ भंग, बद्धायु कसम्बन्धी द्वितीयस्थान के समान यहां भी जानना।
असंयत
१
अबद्धायुष्क ।
की अपेक्षा | १३वाँ स्थान |
। १३६ | १३६ (अबद्धायुष्कके १२धै स्थानमें कथित
५३७ प्रकृति में से मिथ्यात्वप्रकृति कम की)