Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-३८५
उपशमक अपूर्वकरण
बद्धायुष्क की अपेक्षा छठा स्थान
| बद्धायुष्क की अपेक्षा पंचम स्थान की १४१ प्रकृति में से दर्शनमोहनीय की ३ प्रकृति कम की है।
१ भंग, भुज्यमानमनुष्यायु-बध्यमानदेवायु।
उपशमक
अपूर्वकरण
अबद्धायुष्क | की अपेक्षा छठा स्थान
उपर्युक्त १३८ प्रकृति में से १ बध्यमानआयु कम करने पर १३७ प्रकृतियों की सत्ता है।
१ भंग, भुज्यमान मनुष्यायु।
१
। १४२
उपशमक | बद्धायुष्क अपूर्वकरण | की अपेक्षा
सातवाँ स्थान
| १४२ (१४८-६, २ आयु, आहारकचतुष्क)
१ भंग भुज्यमानमनुष्यायु-बध्यमानदेवायु।
उपशमक अपूर्वकरण
अबदायुः ! ...... : ...१३:... १४१: ( उपयुक्त १४२ प्रकृति में से १ की अपेक्षा
बबध्यमानआयु कम की) सातवाँ स्थान
१ भंग, भुज्यमानमनुष्यायु।
१
उपशमक अपूर्वकरण
बद्धायुष्क । की अपेक्षा आठवाँ स्थान
। १३८ । १३८ (बद्धायुष्क के वें स्थान सम्बन्धी १४२
प्रकृति में से अनन्तानुबन्धी ४ कषाय
क्रम की) १ भंग, भुज्यमानमनुष्यायु-बध्यमानदेवायु।
१
उपशमक अपूर्वकरण
अबद्धायुष्क | की अपेक्षा आठवाँ स्थान
| १३७ | १३७ (उपर्युक्त ५३८ प्रकृति में से १
बध्यमानआयु कम की) १ भंग, भुज्यमानमनुष्यायु।
१
। १३५
उपशमक अपूर्वकरण
बदायुष्क । की अपेक्षा नौवाँ स्थान
१३५ (बद्धायुष्क के ८ वें स्थान की ५३८ प्रकृतियों में से दर्शनमोहनीय की तीन प्रकृति कम की)
१ भंग, भुज्यमानमनुष्यायु-बध्यमानदेवायु।