Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ६६४
अर्थ - मिथ्यात्वादिगुणस्थानों में क्रमसे ५५-५०-४३-४६-३७-२४-२२ व २२ आगे अनिवृत्तिकरणमें १६-१५-१४-१३-१२-११ व १० सूक्ष्मसाम्परायमें १०, उपशांतकषायमें ९, क्षीणकषायगुणस्थानमें ९ और सयोगकेवलीके ७ प्रत्यय हैं।
विशेषार्थ मिथ्यात्वगुणस्थानमें आहारक आहारकमिश्रकाययोग नहीं होनेसे ५५, सासादनगुणस्थान में ५ मिथ्यात्व भी कम हो जानेसे (५५ - ५ ) ५० मिश्रगुणस्थानमें औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र, कार्मणकाययोग और अनन्तानुबन्धीचतुष्क का अभाव होनेसे (५० - ७ ) ४३ असंयत गुणस्थान में औदारिकमिश्र, वैलिशिकमिश्र और कार्य येती यो। मिलानेसे (४३+३) ४६ एवं औदारिकमिश्र, वैक्रियिक-वैक्रियिकमिश्र, कार्मण, अप्रत्याख्यानकषायचार तथा त्रसहिंसारूप अविरति इन ९ बिना (४६-९) ३७ प्रत्यय देशसंयत गुणस्थानमें हैं। प्रमत्तगुणस्थानमें ११ अविरति और प्रत्याख्यानकषाय ४ इन १५ बिना (३७ - १५ ) २२ तथा इनमें आहारकद्विक मिलनेसे २४ प्रत्यय; अप्रमत्तगुणस्थान में और अपूर्वकरणगुणस्थानमें आहारकद्विकका अभाव है अतः (२४- २) २२ प्रत्यय; अनिवृत्तिकरणगुणस्थानमें हास्यादि ६ नोकषाय कम होनेसे (२२-६) १६, नपुंसकवेदको कम करनेपर (१६- १) १५, स्त्रीवेद भी नहीं होनेपर ( १५ - १ ) १४, पुरुषवेदका अभाव हो जानेपर (१४- १) १३, सज्वलनक्रोध कम हो जानेसे ( १३-१) १२, सज्ज्वलनमान कम होनेसे ( १२ - १) ११ तथा सज्वलनमाया कम करनेपर (११-१) १० प्रत्यय हैं। सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थानमें भी १० ही प्रत्यय हैं, क्योंकि यहाँ अभी सूक्ष्मलोभ विद्यमान है, उपशान्त व क्षीणकषायगुणस्थानोंमें सूक्ष्मलोभका भी अभाव हो गया अतः ( १०- १) ९ प्रत्यय एवं सयोगकेवलीके सत्य व अनुभवमन, सत्य व अनुभयवचन, औदारिक- औदारिकमिश्र तथा कार्मणकाययोग ये ७ प्रत्यय हैं, अयोगकेवलीके प्रत्ययोंका अभाव है।
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अब उपर्युक्त प्रत्ययोंकी व्युच्छित्ति तथा अनुदयका कथन करनेके लिए अन्य ग्रन्थकी ७ गाथाएँ यहाँ उद्धृत करते हुए सर्वप्रथम व्युच्छित्ति का कथन किया जाता है
पण चदु सुण्णं णवयं पण्णारस दोणि सुण्ण छक्कं च । एक्केकं दस जाव य एवं सुण्णं च चारि सग सुण्णं ॥ १ ॥ दोण्णि य सत् य चोहसणुदयेवि एयार वीस तेतीसं । पणतीस दुसिगिदालं सत्तेत्तालट्ठदाल दुसु पण्णं ॥ २ ॥
अर्थ - मिध्यात्वसे अपूर्वकरणगुणस्थानपर्यन्त क्रमसे ५ - चार शून्य - ९-१५ - २ - शून्य और ६ तथा आगे अनिवृत्तिकरणगुणस्थानमें १६ से १० प्रत्यय स्थानतक क्रमसे १-१ प्रत्ययकी व्युच्छित्ति एवं सूक्ष्मसाम्पराय से सयोगीगुणस्थानतक १ - शून्य ४ व शून्यरूप प्रत्ययोंकी व्युच्छित्ति होती है। मिथ्यादृष्टि