Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ७१६
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गुणस्थान की अपेक्षा २१ औदयिक भावों में स्थानगतभावों की सन्दृष्टि-
भावोंका विशेष स्पष्टीकरण
गुणस्थान
मिथ्यात्व
सासादन
मिश्र
असंयत
देशसंयत
प्रमत्त
अप्रमत्त
अपूर्वकरण
अनिवृत्तिकरण
( सवेदभाग)
अनिवृत्तिकरण
(अवेदभाग)
सूक्ष्मसाम्पराय
उपशांतकषाय
क्षीणकषाय
सयोगकेवली
अयोगकेवली
स्थान
संख्या
१
१
१
१
१
१
१
१
है
१
भाव
संख्या
८
'७
19
७
Ę
Ę
F
६
६
४
४
३
२
चारगतिमेंसे १, तीनवेदोंमें से १, चारकषायोंमेंसे १, छहलेश्यामेंसे १, १ मिथ्यात्व १ अज्ञान, १ असंयम, १ असिद्धत्व |
पूर्वोक्त ८-९ मिथ्यात्व |
पूर्वोक्त ८-१ मिथ्यात्व |
पूर्वोक्त ८-९ मिथ्यात्व ।
पूर्वोक्त ७ - १ असंयम |
पूर्वोक्त ७ - १ असंयम ।
पूर्वोक्त ७- १ असंयम ।
पूर्वोक्त ७- १ असंयम ।
पूर्वोक्त ८-२ मिथ्यात्व - असंयम ।
पूर्वोक्त ६ में से वेद के बिना ५ ॥
पूर्वोक्त ६ में से वेद के बिना ५ ।
पूर्वोक्त ५-१ कषाय ।
पूर्वोक्त ५-१ कषाय ।
पूर्वोक्त ४-१ अज्ञान ।
पूर्वोक्त ४-२ (अज्ञान व लेश्या) अर्थात् मनुष्यगति व असिद्धत्व शेष रहा ।