Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-७२८
क्षायिक
क्षायिक
क्षायिक
क्षायोपशमिक क्षायोपशमिक सायोपशमिक क्षायोपशमिक क्षायोपशमिक क्षायोपशमिक औदयिक
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८
| २ | क्षायिक्रसम्यक्त्व, क्षायिकचारित्र । ८-९-१० व १२वा गुणस्थान
क्षपक श्रेणी में क्षा. सम्य., क्षा. ज्ञान. क्षा. दर्शन, | १३वे और १४वें गुणस्थान में
| क्षा. चा. और क्षायिकलब्धि। | ४ | उपर्युक्त ५ में से क्षा,चा. कम किया सिद्धोंमें
| अज्ञान, दर्शन और लब्धि प्रथम व द्वितीयगुणस्थान में | ज्ञान, दर्शन और लब्धि
तृतीयगुणस्थान में ज्ञान, दर्शन, लब्धि, सम्यक्त्व चतुर्थगुणस्थान में | ज्ञान, दर्शन, लब्धि, सम्य. देशसंयम पंचमगुणस्थान में. ज्ञान, दर्शन, लन्धि, सभ्य. सरागसंयम ६-७वें गुणस्थान में ज्ञान, दर्शन, लब्धि
८वें से १२वें गुणस्थानपर्यन्त | गति, कषाय, लिंग, मिथ्यात्व,
मिथ्यात्वगुणस्थान में | अज्ञान, असंयम, लेश्या और असि. | उपर्युक्त ८ में से १ मिथ्यात्व कम किया २-३-४ थे गुणस्थानमें | उपर्युक्त ७ में से असंयम कम किया ५-६-७-८ व ९वें के
सवेदभागतक उपर्युक्त ६ में से वेद कम किया ९वें के अवेदभाग से सूक्ष्मसाम्य,
तक ४ ) उपर्युक्त ५ में से कषाय कम किया ११वें १२ गुणस्थानपर्यन्त ३ गति, लेश्या व असिद्धत्व
१३३ गुणस्थानतक २ । गति व असिद्धत्व
१४वें गुणस्थानतक भव्यत्व-अभव्यत्व
प्रथमगुणस्थान में भव्यत्व
रे से १४वें गुणस्थानपर्यन्त जीवत्व
सिद्धों में
औदयिक
औदयिक
औदयिक
औदयिक औदयिक
औदयिक
पारिणामिक
पारिणामिक
पारिणामिक