Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan

View full book text
Previous | Next

Page 823
________________ गोम्मटसार कर्मकाण्ड-७८४ आठमेंसे एककम अर्थात् ७ का भाग देनेसे पल्यकी वर्गशलाका के अर्धच्छेदोंसे हीन पल्यके अर्धच्छेदोंका ७वाँ भाग प्रमाण हुआ (पल्यके छेद-पल्यकी वर्गशलाका के छेद) सी १० कोड़ाकोड़ीसागर स्थितिसम्बन्धी नानागुणहानि-शलाका का प्रमाण जानना । नानागुणहानिप्रमाण दो-दो के अंक लिखकर परस्पर गुणा करनेसे अन्योन्याभ्यस्तराशिका प्रमाण होता है। अन्योन्याभ्यस्तराशि प्राप्त करनेका विधान इसप्रकार है उपर्युक्त नानागुणहानिमें ऋणरूप पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदों का ७ वा भाग कहा सो इसको पृथक् रखा और अवशेष पल्यके अर्धच्छेदोंका ७वाँ भाग रहा सो इसकी सहनानीके लिए आठ ही गुणकार और आठ ही भागहार करना, यहाँ गुणकारमें से एककम करके (८-१) ७ गुणकार रहा और पहले भागहार ७ कहा था सो दोनों को समान जानकर अपवर्तन करनेपर इसप्रकार पल्यके अर्धच्छेदोंका आठवाँभाग शेष रहा। अत: इतने प्रमाण दोके अंक लिखकर परस्पर गुणाकरनेसे तृतीयवर्गमूल होता है । इसप्रकार भागहारके जितने अर्धच्छेद हो उतने वर्गस्थान भाज्यराशिसे नीचे जानेपर उत्पन्नराशिका प्रमाण होताहै। यहाँ भागहार तो आठ है सो उसके अर्धच्छेद तीन, सो पल्यके नीचे तृतीयवर्गस्थान पल्य का तृतीयमूल है तथा पहले गुणकार में से १ पृथक रखा था वह पल्यके अर्धच्छेद का ५६ वाँ भाग गुणकार था अत; पल्यके अर्धच्छेदका ५६ बाT APlइसमें गरूप पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदों का ७वाँ भाग घटानेसे जो शेष रहें उतने प्रमाण दोके अंक लिखकर परस्पर गुणा करनेसे असंख्यातगुणा पल्यका ५वाँ वर्गमूल मात्रअसंख्यातप्रमाण जानना । विरलिदरासीदो पुण जेत्तियमेत्ताणि अहियरूवाणि । तेसिं अण्णोण्णहदी गुणगारो लद्धरासिस्स ।।११०॥ त्रि.सा. इस सूत्रके अनुसार अधिकराशिका परस्पर गुणाकरनेसे जो राशि हुई वह गुणकाररूप है अत: उस असंख्यातसे पल्यके तृतीयवर्गमूलको गुणा करने से जो प्रमाण होवे उतना दसकोड़ाकोड़ीसागरस्थितिसम्बन्धी अन्योन्याभ्यस्तराशि जानना । त्रैराशिकद्वारा दशकोडाकोड़ीसागरके अन्तधन आदि सम्बन्धी सन्दृष्टि - प्रमाणराशि फलराशि इच्छाराशि लब्ध | प.छे.. अन्तधन सागर सागर ७० कोडाकोड़ी- | पल्यके प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्ग- १० कोड़ाकोड़ी मूलके अर्धच्छेदोंका जोड़ प.छे ७० कोड़ाकोड़ी- | पल्यके चतुर्थ, पंचम, छठे वर्गमूलके | ५० कोड़ाकोड़ीसागर | अर्धच्छेदोंका जोड़ प.हे. सागर प.छे...

Loading...

Page Navigation
1 ... 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871