Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-७८२
५.२ प्रमाण
पल्यके पंचम वर्गमूलके अर्धच्छेद - ३१, पल्यके षष्ठ वर्गमूलके अर्धच्छेद - छ
इन तीनों राशियोंका जोड़करनेसे सातगुणे पल्यके अर्धच्छेदोंका ६४वाँ भाग (छे छे छे छेद ) प्राप्त हुआ। यह पूर्वोक्त तीनराशियोंके जोड़से ८ गुणा कम है। इसीप्रकार पहले-पहलेसे आधे-आधे सातवें, आठवें, नवमे पल्यके वर्गमूलों के अर्धच्छेदोंको जोड़नेपर प्रमाण होता है। तद्यथा
पल्यके सप्तमवर्गमूलसम्बन्धी अर्धच्छेद - १२८ पल्यके अष्टमवर्गमूलसम्बन्धी अर्धच्छेद = 0 पल्यके नवमवर्गमूलसम्बन्धी अर्धच्छेद = छ ___ इन तीनों राशियों को जोड़नेपर सातगुणे पल्यके अर्धच्छेदोंका ५१२वाँ भाग अर्थात् पूर्वोक्त
प्रमाण होता है। यह प्रमाण चतुर्थादि तीनवर्गमूलोंके जोड़से ८ गुणा कम है। इसप्रकार नीचे-नीचे तीन-तीन वर्गस्थानोंके अर्धच्छेद जोड़नेपर आठ-आठ गुणे कम होते जाते हैं। तथैव पल्यकी वर्गशलाकाके आठवें, सातवें और छठेवर्गके अर्धच्छेद पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदोंसे २५६, १२८ और ६४ गुणे हैं सो इन तीनों राशियों को जोड़नेसे (२५६+१२८+६४) ४४८ गुणे अर्धच्छेद होते हैं तथा पल्यकी वर्गशलाकाके पाँचवें, चौथे व तीसरे वर्ग के अर्धच्छेद पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदोंसे ३२, १६ व ८ गुणे हैं सो इन तीन राशियोंको जोड़ने से (३२+१६+८) ५६ गुणे होते हैं। यह राशि पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदों से ५६ गुणी है तथापि पूर्वोक्तराशिसे ८ गुणीकम है तथा पल्यकी वर्गशलाकाके दूसरे, पहले वर्ग और वर्गशलाका इन तीनोंके अर्धच्छेद पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदोंसे चारगुणे, दोगुणे और १ गुणे हैं। इन तीनोंराशियों को जोड़ने से (४+२+१) पल्यकी वर्गशलाकाके अर्धच्छेदोंसे ७ गुणे हुए, किन्तु यह भी पूर्ववर्तीराशिसे ८ गुणा कम ही है। इसप्रकार ८-८ गुणी हीन राशि हुई। यहाँ पल्यका वर्गमूल सो प्रथममूल, प्रथममूलका वर्गमूल सो द्वितीयमूल, दूसरे मूलका वर्गमूल सो तृतीयमूल है। इसीप्रकार चतुर्थादिमूल भी जानना तथा पल्यको वर्गशलाकाका वर्ग करनेसे प्रथमवर्ग, प्रथमवर्ग का वर्ग करनसे द्वितीयवर्ग, द्वितीयवर्गका वर्ग करने से तृतीयवर्ग होता है। इसीप्रकार आगे चतुर्थादि वर्ग जानना। इसप्रकार पल्यके प्रथम, द्वितीय व तृतीयमूलके अर्धच्छेदोंको जोड़नेपर जो राशि हो उससे लेकर तीन-तीन स्थानोंके अर्धच्छेदोंको जोड़ते-जोड़ते पल्यकी वर्गशलाकाके द्वितीय, प्रथमवर्ग और पल्यकी वर्गशलाकारूप तीनराशियों के अर्धच्छेदों को जोड़नेतक जो-जो राशि हों वहाँ तक सर्व जोड़ी हुई असंख्यातराशि पृथक्-पृथक् सातस्थानोंमें आगे-आगे रचनारूप करनी। इसप्रकार पल्यके तीन-तीन वर्ग-मूलोंके अर्धच्छेद आठ-आठ गुणे कम-कम होते जाते हैं।