Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan

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Page 782
________________ गोम्मटसार कर्मकाण्ड-७४३ पिण्डपद हैं। यहाँ भव्यत्वभावसम्बन्धी भंगोंका प्रमाण पण्ट्ठीका आधा है उसे दूना करनेपर पण्णट्टीप्रमाणभंग एकगतिसम्बन्धी हैं तो चारोंगतिसम्बन्धी सर्वभङ्ग चारगुणी पण्णट्टीप्रमाण जानना । एकगतिसम्बन्धी भंगोंसे दून अर्थात् दी पटीप्रभा भंग एकलिनसम्बन्धी होते हैं सो इनको चारोंगतिसम्बन्धी (नरकगतिका १, तिर्यञ्चगतिके ३, मनुष्यगतिके ३ और देवगतिके २) ९ लिंगोंसे गुणा करनेपर (२४९) १८ गुणीपण्णट्टीप्रमाण भंग होते हैं। एकलिंगके भंगोंसे दुगुने एककषायसम्बन्धी भन्न हैं जो कि ४ पण्णट्ठोप्रमाण हैं सो इनको नरकमें एकलिंगप्तहित चारकषायसे अर्थात् (४४१) ४ से तिर्यञ्चगतिमें तीनलिंगसहित चारकषाय अर्थात् (४४३) १२ से, मनुष्यगतिमें तीन लिंगसहित चारकषायसे अर्थात् (४४३) १२ से एवं देवगतिमें दोलिंगसहित चारकषाय अर्थात् (४४२) ८ से गुणाकरें। इसप्रकार चारोंगति सम्बन्धी (४+१२+१२+८) ३६ से गुणित पण्णट्टीको ४ से गुणा करनेपर जो लब्ध आवे उतनेप्रमाण भंग हैं। एककषायसम्बन्धी भंगोंसे दूने अर्थात् ८ गुणी पण्णीप्रमाण एकलेश्यासम्बन्धी भंग हैं इनको नरकगतिमें एकलिंग व चारकषायसहित ३ लेश्यासे अर्थात् (१४४४३) १२ से, तिर्यञ्चगतिमें तीनलिंग व चार कषायसहित ६ लेश्या (३४४४६) अर्थात् ७२ से, मनुष्योंमें तीनलिंग व चारकषायसहित ६ लेश्यासे अर्थात् (३४४४६) ७२ से, देवगतिमें दोलिंग व चारकषायसहित ३ शुभलेश्या अर्थात् (२४४४३) २४ से गुणाकरे तो चारोंगतिसम्बन्धी (१२+७२+७२+२४) १८०४८:१४४० से गुणित पण्णट्ठीप्रमाण भंग होते हैं। आगे एकलेश्यासम्बन्धी भङ्गोंसे दूने अर्थात् १६ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण एक सम्यक्त्वके भंग हैं सो इनको नरकगतिमें एकलिंग व चारकषायसहित ३ लेश्यासे अर्थात् (१४४४३) १२ से, तिर्यञ्चगतिमें ३ तीनलिंग व चारकषायसहित ६ लेश्यासे अर्थात् (३४४४६) ७२ से, मनुष्यगतिमें तीनलिंग व चारकषायसहित ६ लेश्या अर्थात् (३४४४६) ७२से, देवगतिमें दो लिंग व चारकषायसहित ३ लेश्यासे अर्थात् (२४४४३) २४ से इसप्रकार चारोंगतिसम्बन्धी (१२+७२+७२+२४) १८०४१६-२८८० से गुणित पण्णट्टीप्रमाण भन्न जानना सो ये उपशमसम्यक्त्वसम्बन्धी भंग हैं। इतने ही (२८८०) प्रमाण क्षायोपशमसम्यक्त्वके भी भंग होते हैं। इसप्रकार दोनों सम्यक्त्वसम्बन्धीभंग (२८८०+२८८०) ५७६० होते हैं। क्षायिकसम्यक्त्वसम्बन्धी कथन पृथकरूपसे करते हैं उपर्युक्त १ लेश्यासम्बन्धी भोंसे दूने अर्थात् १६ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण क्षायिकसम्यक्त्वके भंग हैं। इनको नरकगतिमें एकलिंग व ४ कषायसहित एक लेश्यासे अर्थात् (१४४४१) ४ से, तिर्यञ्चगतिमें एकलिंग व चारकषायसहित ४ लेश्यासे अर्थात् (१४४४४) १६ से, मनुष्यगतिमें तीनलिंग व चारकषायसहित ६ लेश्यासे अर्थात् (३४४४६) ७रसे, देवोंमें एकलिंग व चारकषायसहित तीनलेश्यासे अर्थात् (१४४४३) १२ से इसप्रकार चारोंगतिसम्बन्धी (४+१६+७२+१२) १०४४१६-१६६४ से गुणित पण्णट्टीप्रमाण भङ्ग हैं। इसप्रकार दो सम्यक्त्वसम्बन्धी पूर्वोक्त प्रत्येकपद व पिण्डपदोंके भङ्ग जोड़नेपर (१+४+१८+१४४+१४४०+५७६०) ७३६७ गुणो पण्णट्टीप्रमाण में से एक कम करने पर सर्वपदके भन्न और क्षायिकसम्यक्त्वके १६६४ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण भङ्ग असंयतगुणस्थानमें होते हैं।

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