Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-७४५
यहाँ पिंडपद लिंग, कषाय, लेश्या व सम्यक्त्वरूप हैं। मनुष्यगतिसम्बन्धी २ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण भंगोंसे दुगुने अर्थात् चारपण्णट्ठीप्रमाण एक लिंगसम्बन्धी भंग हैं उनको मनुष्यगतिसम्बन्धी ३ वेदोसे गुणा करनेपर ४४३-१२ गुणी पण्पणीप्रमाण हुआ तथा एकलिंगसम्बन्धी भंगोंसे दुगुने अर्थात् आठगुणी पण्णट्टीप्रमाण एककषायके भंग हैं इनको ३ वेदसहित ४ कषायसे अर्थात् (३४४) १२से गुणा करनेपर (८xपण्णट्टीx१२) ९६ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण भंग हुए। एककषायके भंगोंसे दूने अर्थात् १६ पण्णट्टीप्रमाण एकलेश्यासम्बन्धी भंग हैं इनको तीनलिंग व ४ कषायसहित तीनलेश्यासे गुणा करनेपर (३४४४३-३६४१६xपण्णट्टी) ५७६ गुणी पपणीप्रमाण भंग हुए। एक लेश्यासम्बन्धी भंगोंसे दुगुने अर्थात् ३२ गुणी पण्णद्वीप्रमाण सम्यक्त्वके भंग जानना इसको तीनलिंग (वेद) ४ कषाय व तीन लेश्यासहित ३ सम्यक्त्वसे गुणा करे तो (३४४४३४३= १०८४३२४पण्णट्टी) ३४५६ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण भंग हुए। इसप्रकार प्रमत्तगुणस्थानमें सर्व मिलकर (४+१२+९६+५७६+३४५६) ४१४४से गुणित. पण्णीप्रमाणमें से एककम करनेपर जो लब्ध आया उतने प्रमाण सर्वपदके भंग जानना । अप्रमत्तगुणस्थानमें भी प्रमत्तगुणस्थानवत् एककम ४१४४ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण ही भंग हैं।
उपशमश्रेणीके अपूर्वकरणगुणस्थानमें अन्य लेश्याओंके अभावसे एक शुक्ललेश्यारूप भी प्रत्येकपद है शेष प्रत्येकपद पूर्ववत् हैं । यहाँ मतिज्ञानके १, श्रुतज्ञानके २, अवधिज्ञानके ४, मनःपर्ययज्ञानके ८, चक्षुदर्शनके १६, अचक्षुदर्शनके ३२, अवधिदर्शनके ६४, दानलब्धिके १२८, लाभलब्धिके २५६, भोगलब्धिके ५१२, उपभोगलब्धि के १०२४, वीर्यलब्धिके २०४८, अज्ञानके ४०९६, असिद्धत्वके ८१९२, उपशमचारित्रके १६३८४, जीवत्वके ३२७६८, भव्यत्वके पण्णीप्रमाण, मनुष्यगतिके दोगुणीपण्णट्ठी और शुक्ललेश्याके चारगुणी पण्णवीप्रमाण प्रत्येकपद हैं तथा पिंडपद लिंग, कषाय व सम्यक्त्वरूप हैं। शुक्ललेश्याके भंग पण्णट्ठीसे चारगुणे हैं इनसे दुगुने एकलिंगके भंग पण्णट्ठीसे आठगुणे जानना । इनको तीनलिंगसे गुणाकरे तो पण्णट्ठीसे २४ गुणा अर्थात् २४ पण्णट्ठीप्रमाण भंग हैं। एक लिंगके भंगसे दूने अर्थात् १६ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण एककषायसम्बन्धी भंग हैं। इनको तीनवेदसहित चारकषायसे गुणाकरनेपर (३४४=१२४१६xपण्णी ) १९२ से गुणित पण्णहीप्रमाण भंग हैं तथा एककषायके भंगोंसे दोगुणे अर्थात् ३२ पण्णट्टीप्रमाण भंग एकसम्यक्त्वके हैं इसको ३ वेद व ४ कषायसहित २ सम्यक्त्वसे गुणा करनेपर (३४४४२=२४)४३२४पण्णट्ठी-७६८ गुणी पण्णट्ठीप्रमाण भंग हुए। इसप्रकार सर्वमिलकर (८+२४+१९२+७६८) ९९२ गुणी पण्णीमें से एक कम करदेनेसे जो लब्ध आया उत्तनेप्रमाण भंग उपशमक अपूर्वकरणगुणस्थानमें सर्वपदके जानना | इसीप्रकार सवेदअनिवृत्तिकरणगुणस्थानमें अपूर्वकरणवत् ९९२ गुणी परणट्टी में से एक कम प्रमाण सर्वपदके भंग हैं।
वेदरहित अनिवृत्तिकरणगुणस्थानमें प्रत्येकपद १९ हैं। मतिज्ञानके १, श्रुतज्ञानके २, अवधिज्ञानके ४, मन:पर्ययज्ञानके ८, चक्षुदर्शनके १६, अचक्षुदर्शनके ३२, अवधिदर्शनके ६४, दानलब्धिके १२८,