Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ७०५
२३ भाव, इन्हीं २३ भावोंमेंसे लोभकषाय और क्षायिकचारित्र कमकरके उपशान्तकषायगुणस्थानमें २१ भाव हैं, इनमें से औपशमिक के दो भावोंको कमकरके तथा क्षायिकचारित्र मिलानेपर क्षीणकषायगुणस्थान में २० भाव हैं। मनुष्यगति, शुक्ललेश्या और असिद्धत्व ये तीन औदयिकभाव, क्षायिकके ९, जीवत्वभव्यत्व ये दो पारिणामिकभाव इसप्रकार ( ९+३+२ ) १४ भाव सयोगीगुणस्थानमें पाए जाते हैं तथा इन्हीं १४ में से शुक्ललेश्या कम करनेपर अयोगीगुणस्थानमें १३ भाव हैं। सम्यक्त्व, ज्ञान, दर्शन, वीर्य एवं चारित्ररूप ५ क्षायिक तथा जीवत्वरूप एक पारिणामिक इसप्रकार ६ भाव सिद्धों में पाए जाते हैं । यह कथन नानाजीवोंके नानाकालकी अपेक्षा से है, अब एक जीवके एक कालमें जितने भाव सम्भव हैं उनकी अपेक्षा आगे कथन करेंगे।
गुणस्थान की अपेक्षा उत्तरभावसम्बन्धी सन्दृष्टि
अपशमिक
क्षायिक
भावके २
भावके ९
मिश्र ( क्षायोपशम ) भावके ९८ भेदोंमेंसे
भेदोंमेंसे
भेदोंसे
२
३
४
गुणस्थान
?
मिध्यात्व
रहासदन
मिश्र
असंयत
देशसंयत
प्रमत्त
उपशमसम्यक्त्व
१ उपशमसम्यक्त्व
१ उपशमसम्यक्त्व
क्षायिक
सम्यक्त्व
-सुनी महाराराम
१ क्षायिक सभ्यवाच
१० (३ अज्ञान २ दर्शन व ५ लब्धि) १० (उपर्युक्त)
१० (३ मिश्रज्ञान
व ५ लब्धि)
१२ (३ मति आदि ज्ञान, ३ दर्शन, ५
लब्धि व वेदकसम्यक्त्व उपर्युक्त ५२ व १ देशसंयम (१३)
१. क्षायिक- १२ चतुर्थगुगस्थान
सम्यक्त्व
सम्बन्धी तथा मन:पर्ययज्ञान, सरागचारित्र (१४)
औदयिक भावके २१ भेदोंमेंसे
२१
५
उपर्युक्त २१ में से मिथ्यात्व बिना शेष २० उपर्युक्त २५ में से मिथ्यात्वके बिन शेष २० उपर्युक्त २१ में से मिथ्यात्व के बिना शेष २०
१४ (नियंत मनुष्यगति, ४ कपाय, ३ वेद, शुभलेश्या ३, असिद्धत्व और
अज्ञान)
१३ ( उपर्युक्त १४में से एक तिर्यञ्चगति
कम करनेसे)
पारिणामिकभावके ३
भेदोंमेंसे
६
३
उपर्युक्त ३ में से अभव्य किया शेष २ उपर्युक्त ३ में से अभव्य बिना
शेष र उपर्युक्त
में
से अभय बिना
शेष २
उपर्युक्त में से अभव्य बिना शेष २
उपर्युक्त ३ में से अभव्य बिना शेष २
भादोंकी
कुल
संख्या
७
३४
३२
३२
३६.
३१
३१