Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटमार
का
मिथ्यात्वगुणस्थानके अनन्तानुबन्धीरहित ३ कूट
२-२
२-२
भय-जुगुप्सारहित प्रथमकूट भय अथवा जुगुप्सासहित | भय-जुगुप्सासहित कूट। भय-जुगुप्सा योग १० १० में से कोई एक योग | १० में से कोई एक योग | १० में से कोई एक योग हास्य-रति -1| २-२ अरति-शोक ।
स्त्री-पुरुष-नपुंसकवेद | स्त्री-पुरुष-नपुंसकवेद स्त्री-पुरुष-नपुंसकवेद कषाय १२ ३ क्रोध, ३ मान, ३ क्रोध, ३ भान, ३ क्रोध, ३ मान,
३ माया, ३ लोभ ३ माया, ३ लोभ ३ माया, ३ लोभ काय
१-२-३-४-५-६ १-२-३-४-५-६ १-२-३-४-५-६ इन्द्रिय व मन ६ | १-१-१-१-१-१ १-१-१-१-१-१ १-१-१-१-१-१ मिथ्यात्व ५ । १-१-१-१-१ १-१-१-१-१ १-१-१-१-५ बन्धप्रत्यय ४८ | १०-११-१२-१३- | ११-१२-१३-१४- १२-१३-१४-१५
१६-१७ सासादनगुणस्थानसम्बन्धी ३ कूट
भय-जुगुप्सारहित __ भय या जुगुप्सासहित । भय-जुगुप्सासहित भय-जुगुप्सा २ योग १३ १३ में से कोई एक | १३ में से कोई एक | १३ में से कोई एक हास्य-रति - । २-२ २-२
२-२
अरति-शोक ,
१-१-१ ४ क्रोध, ४ मान, ४ माया, ४ लोभ
वेद ३
१-१-१ कषाय १६ ४ क्रोध, ४ मान,
४ माया, ४ लोभ काय ६
१-२-३-४-५-६ इन्द्रिय व मन ६ | १-१-१-५-१-१ बन्धप्रत्यय ५० १०-११-१२-१३
१४-१५
१-१-१ ४ क्रोध, ४ पान, ४ माया, ४ लोभ १-२-३-४-५-६ १-१-१-१-१-१
१-२-३-४-५-६
१-१-१-१-१-१
११-१२-१३-१४
१२-१३-१४-१५