Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-६६३
गुणस्थान की अपेक्षा चार मूलप्रत्ययसम्बन्धी सन्दृष्टि-- गुणस्थान | प्रत्यय संख्या | प्रत्ययोंका विशेष स्पष्टीकरण मिथ्यात्व
मिथ्यात्व, अविरति, कषाय और योग । सासादन
अविरति, कषाय और योग। मिश्र
अविरति, कषाय और योग। असंयत
अविरति, कषाय और योग। देशसंयत
अविरति कषाय और योग। (क्योंकि यहाँ अविरति-विरति का मिश्रितरूप है)
कषाय और योग अप्रमत्त
कषाय और योग अपूर्वकरण
कषाय और योग अनिवृत्तिकरण
अषय और योग सूक्ष्मसाम्पराय
कषाय और योग उपशांतकषाय
योग क्षीणकषाय
योग सयोगकेवली अयोगकेवली
प्रमत्त
योग
अब उत्तरप्रत्ययों को गुणस्थान में कहते हैं
पणवण्णा पण्णासा तिदाल छादाल सत्ततीसा य। चदुवीसा बाबीसा बावीसमपुव्वकरणोत्ति ।।७८९ ।। थूले सोलसपहुदी एगूणं जाव होदि दसठाणं ।
सुहुमादिसु दस णवयं णवयं जोगिम्मि सत्तेव ॥७९०॥' १. प्रा.पं.सं.पृ. १०६ गाथा ८० |