Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-५५१
स्वरयुगलकी अपेक्षा ( ६ × १x२x२) २४ - २४ भंग हैं। इसप्रकार अप्रमत्तगुणस्थानसम्बन्धी १४४ भंग तथा उपशम श्रेणीके चारगुणस्थानोंके सर्व ( ७२+७२ + ७२+७२ ) २८८ भंग, क्षपकश्रेणीकी अपेक्षा चारों गुणस्थानों में सर्व ( २४ + २४ + २४ + २४) ९६ भंग हैं।
सयोगीगुणस्थान के समुद्घातरूपकार्मणकालमें २० प्रकृतिक उदयस्थानमें एकभंग है। तीर्थङ्करसहित २१ प्रकृतिका एक भंग है। औदारिकके मिश्रशरीरकालमें २६ प्रकृतिकस्थानके ६ संस्थानोंकी अपेक्षा ६ भंग हैं तीर्थङ्करसहित २७ प्रकृतिक स्थानमें एक भंग है। मूलशरीरमें प्रवेश करते समय २८ प्रकृतिक स्थानके शरीरपर्याप्तिकालमें ६ संस्थान और विहायोगतियुगलकी अपेक्षा (६x२) १२ भंग हैं, तीर्थङ्करसहित २९ प्रकृतिकस्थानका एकभंग और सामान्यकेवलीके श्वासोच्छ्वासपर्याप्तिकालमें १२ भंग इसप्रकार २९ प्रकृतिकस्थानके १३ भंग हैं। तीर्थङ्करसहित ३ : प्रकृतिकस्थानमें एक भंग, आतापर्याभिकालमें सामान्यकेवलीके ६ संस्थान एवं विहायोगति - स्वरयुगलकी अपेक्षा २४, इसप्रकार ३० प्रकृतिक स्थानमें (१+२४) २५ भंग हैं। तीर्थङ्करसहित ३१ प्रकृतिक स्थानमें एक भंग है । सयोगीगुणस्थान में ऐसे सर्व (१+१+६+१+१२+१३+२५+१) ६० भंग हैं। अयोगीगुणस्थान में तीर्थङ्करसहित ९ प्रकृतिकस्थानका एक भंग एवं तीर्थङ्करप्रकृतिरहित ८ प्रकृतिक स्थानका एकभंग ऐसे दो भंग जानना ।
गुणस्थानों में नामकर्मके उदयस्थानसम्बन्धी भंगोंकी सन्दृष्टि
गुणस्थान
मिथ्यात्व
सासादन
उदयस्थान
२१ प्रकृतिरूप
२४ प्रकृतिरूप
२५ प्रकृतिरूप
२६ प्रकृतिरूप
२७ प्रकृतिरूप
२८ प्रकृतिरूप
२९ प्रकृतिरूप
३० प्रकृतिरूप
३१ प्रकृतिरूप
२१ प्रकृतिरूप
२४ प्रकृतिरूप
२५ प्रकृतिरूप
प्रकृतिरूप गुणस्थानगत
स्थानगतभङ्ग कुल भङ्ग
५९
२७
१८
६१४
१०
११६२
१७४६
२८९६
११६०
३१
६
१
७६९२
विशेष विवरण
गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाधा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो गाथा ६०७ का विशेषार्थ देखो
इस गुणस्थान में २७ व २८ प्रकृतिकस्थान नहीं हैं। शेष सर्वक्रथन गाथा ६०७ के विशेषार्थ से जानना चाहिए।