Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
क्षायिक
सासादन
मिश्र
मिथ्यात्व
मार्गणा
सञ्जी
५.
असञ्जी
३
२
६
बन्ध
स्थान
संख्या
८
योगसार कर्मकाण्ड - ६२२
६
२८-२९-३०
३१ व १
२८-२९ व ३०
२८ व २९
२३-२५-२६
२८-२९ व
३० प्रकृतिक
बन्धस्थानगत
प्रकृति - संख्या
का विवरण
११
७
२३-२५-२६२८-२९ व ३० प्रकृतिक
३
९
अब सञ्जीमार्गणा में बन्ध-उदय एवं सत्त्वस्थान कहते हैं
पुरिसं वा सण्णीये इदरे कुमदिं व णत्थि इगिणउदी || ७३६ ॥
अर्थ • सञ्ज्ञीमार्गणामें बन्ध-उदय व सत्त्वस्थानका कथन पुरुषवेदके समान है। असञ्ज्ञीके बन्धादि तीनोंस्थान कुमतिज्ञानवत् जानना, किन्तु विशेषता यह है कि ९१ प्रकृतिक सत्त्वस्थान नहीं है।
सञ्जीमार्गणा में बन्ध - उदय एवं सत्त्वस्थानों की सन्दृष्टि
उदय
स्थान
संख्या
२३-२५-२६- ८
२८-२९-३०३१ व १
| २०-२१-२५-२६- १०
२७-२८-२९
३० व ३९ तथा
९ व ८ प्रकृतिक
२१-२४-२५-२६
२९-३०-३१ नोट- २७ व २८ के
उदय काल आनेपर
सासादन नहीं होता।
२९-३० व ३१.
| २१-२४-२५-२६२७-२८-२९-३०
व ३१ प्रकृतिक
१
२१-२५-२६२७-२८-२९-३०
व ३१
२
६
उदयस्थानगत्त सत्त्व
प्रकृति संख्या का स्थान
विवरण संख्या
२१-२४-२५
२६-२७-२८
२९-३० व ३१
११
९३-९२-९१-९०८००७९-७८७७
१० व ९ प्रकृतिक
५
१० प्रकृतिक
९२ व ९० प्रकृतिक
|९२-९१-९०-८८८४ व ८२ प्रकृतिक
स्वस्थानगत प्रकृति - संख्या का विवरण
९३-९२-११९०-८८-८४-८२८०-७९-७८ व
७७ प्रकृतिक
९२-९०-८८
८४ व ४२ प्रकृतिक