Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-६४०
अधिकरणरूप उदयमें आधेयरूप बन्ध-सत्त्वके त्रिसंयोगसम्बन्धी सन्दृष्टि
अधिकरण
आधेय
उदयस्थान
बन्ध
|
..... ! स्थान
संख्या
बन्धस्थानगत
सत्त्वप्रकृति -विवरण ..| स्थान
संख्या
सत्त्वस्थानगत प्रकृतिविवरण
७९ व ७७ प्रकृतिक
२० प्रकृतिक २१ प्रकृतिक
२३.२५-२६-२८-२९
व ३० तथा शून्य
९३-९२-९१-९०-८८
८४-८२-८० व ७८
२४ प्रकृतिक
२३-२५-२६-२९ व ३०
९२-९०-८८-८४ व ८२ प्रकृतिक
२५ प्रकृतिक
२३-२५-२६-२८-२९
व ३०
९३-९२-९१९०-८८-८४ व ८२
२६ प्रकृतिक
२३-२५-२६-२८-२९ व ३० प्रकृतिक, बंधशून्य
९३-९२-९१-९०८८-८४-८२-७९ व ७७ प्रकृतिक
२७ प्रकृतिक
८
२३-२५-२६-२८-२९ ब । ३० प्रकृतिक, बंधशून्य
९३-९२-९१-९०८८-८४-८० व ७८ प्रकृतिक
२८ प्रकृतिक
८
२३-२५-२६-२८-२९ ब । ३० प्रकृतिक, बन्ध शून्य
९३-९२-९१-९० ८८-८४-७९ व व ७७ प्रकृतिक
२९ प्रकृतिक
।
६
२३-२५-२६-२८-२९ व ३० प्रकृतिक,बन्ध शून्य
९३-९२-९१-९०८८-८४-८०-७९-७८
व ७७ प्रकृतिक
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१. तीर्थङ्करप्रकृतिके उदवसहित समुद्घातकेवलीके २१ प्रकृतिका उदय होने पर बन्ध नहीं होता।