Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-६५४ अत: ७ उदयस्थान है (जैसा सन्दृष्टिमें लिखा है) ३१ प्रकृतिका उदय तिर्यञ्चोंमें है, किन्तु तिर्यञ्चोंमें ९३ का सत्त्व नहीं है। मनुष्यों में सयोगी गुणस्थान में ३१ प्रकृति का उदय व ९३ प्रकृतिका सत्त्व है, किन्तु वहाँ बन्धका अभाव है) ९२ एवं ९० आदि प्रकृतिरूप तीन ऐसे चार सत्त्वस्थानों में २१ आदि प्रकृतिरूप ९ उदयस्थान हैं, ९१ प्रकृतिक सत्त्वमें नरकगतिवत् २१-२५-२६-२७-२८-२९ व ३० प्रकृतिक उदयस्थान, ८२ प्रकृतिक सत्त्व होनेपर २१, २४, २५ व २६ प्रकृतिके रदयस्थान हैं। ३० प्रकृतिका बन्ध तथा ९३ व ९१ प्रकृतिका सत्त्व होनेपर देवगतिमें कहे हुए ५ उदयस्थान हाते हैं तथा ३० प्रकृतिक बन्धके रहते हुए ९२ और ९० आदि प्रकृतिरूप चार ऐसे पाँच सत्त्वस्थान होनेपर २९ प्रकृतिक बन्धस्थानवत् २१ आदि प्रकृतिरूप ९ उदयस्थान हैं, तथा ३० प्रकृतिक बन्धस्थानमें ही ८२ प्रकृतिका सत्त्व होनेपर २९ प्रकृतिक बन्धस्थानवत् चार उदयस्थान हैं।।७७२-७३ ॥
३१ प्रकृतिक बन्धस्थानके रहते हुए ९३ प्रकृतिका सत्त्व होनेपर ३० प्रकृतिरूप एक ही उदयस्थान है तथा १ प्रकृतिक बन्धस्थानके रहते हुए ९३ आदि प्रकृतिरूप चार एवं ८० आदि प्रकृतिरूप चार ऐसे आठ सत्त्वस्थानोंमें ३० प्रकृतिक उदयस्थान है। आगे बन्ध का अभाव है अतः दो स्थानोंको आधार व १ स्थानको आधेय मानकर कथन सम्भव नहीं है ।। ७७४ ।।
अधिकरणरूप बन्ध-सत्त्वस्थान और आधयरूप उदयस्थान के त्रिसंयोग की संदृष्टि
अधिकरण
आधेय
सत्त्वस्थान
बन्धस्थान
सत्वस्थानगत प्रकृति संख्या का विवरण
उदयस्थान संख्या
उदयस्धानगत प्रकृतिसंख्या का
विवरण
संख्या
२३ प्रकृतिक
९२-१०-८८ व ८४ प्रकृतिक ८२ प्रकृतिक
२१-२४-२५-२६-२७
२८-२९-३० व ३१
२३ प्रकृतिक
। ४
२५-२६ प्रकृतिक
९
९२-९०-८८ व ८४ प्रकृतिक ८२ प्रकृतिक १२ प्रकृतिक
। २१-२४-२५
व २६ प्रकृति. २१-२४-२५-२६-२७-२८
२९-३० ३ ३१ प्रकृतिक । २१-२४-२५ व २६ प्रकृतिक २१-२५-२६-२७-२८-२९
३० व ३१ प्रकृतिक
२५-२६ प्रकृतिक २८ प्रकृतिक
४ ८
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