Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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उदया इगिवीसचऊ णववीसतियं च णउदियं सत्तं । मिस्से अडवीसदुगं णववीसतियं च बंधुदया ।।७३५ ॥
बाणउदि उदित्तं मिच्छे कुमदिं व होदि बंधतियं ।
अर्थ – सम्यक्त्वमार्गणाके उपशमसम्यक्त्वमें बन्धस्थान श्रुतज्ञानवत् हैं, उदयस्थान २१ व २५ प्रकृतिक तथा २९ आदि प्रकृतिक तीन इसप्रकार पाँच तथा सत्त्वस्थान ९३ आदि प्रकृतिरूप चार हैं। वेदक सम्यक्त्वमें बन्धस्थान उपशमसम्यक्त्ववत् हैं, किन्तु विशेषता यह है कि यहाँ एक प्रकृतिक बन्धस्थान नहीं है, उदयस्थान मतिज्ञानवत् आठ हैं एवं सत्त्वस्थान उपशमसम्यक्त्ववत् ही जानना । क्षायिकसम्यक्त्वमें बन्ध-उदय - सत्त्वस्थान श्रुतज्ञानवत् क्रमसे ५-८ और ८ हैं, किन्तु विशेष यह है कि उदय व सत्त्वमें अन्तिम दो-दो स्थान एवं उदयमें २० प्रकृतिक स्थान भी पाया जाता है। सासादनसम्यक्त्वमें बन्धस्थान २८ आदि प्रकृतिरूप तीन, उदयस्थान आकृति एवं 24 आदि प्रकृतिक तीन इसप्रकार सात हैं। यहाँ २७ व २८ प्रकृतिक उदय आने तक एकेन्द्रियादि के सासादनपना नहीं होता अतः नहीं कहे, सत्त्वस्थान ९० प्रकृतिरूप एक ही है । सम्यग्मिथ्यात्वमें बन्धस्थान २८ आदि प्रकृतिरूप दो, उदयस्थान २९ आदि प्रकृति रूप तीन एवं सत्त्वस्थान ९२ व १० प्रकृतिरूप दो हैं। मिथ्यात्वमें बन्ध, उदय और सत्त्वस्थान कुमतिज्ञानवत् जानना ।
सम्यक्त्वमार्गणामें बन्ध-उदय-सत्त्वस्थानसम्बन्धी सन्दृष्टि
गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ६२१
उदयादि व खड़ये बंधादी सुदमिवत्थि चरिमदुगं । उदयंसेवीसं च य साणे अडवीसतियबंधो ॥ ७३४ ॥
सम्यक्त्व- बन्ध
मार्गणा स्थान
संख्या
उपशम
सम्यक्त्व
वेदक
सम्यक्त्व
बन्धस्थानगत
प्रकृति - संख्या का विवरण
२८-२९-३०३१ व १ प्रकृतिक
२८-२९-३०
व ३१
उदय
स्थान
सख्या
५
८
उदयस्थानगत सत्त्व
प्रकृति संख्या का
स्थान विवरण संख्या
२१-२५-२९-३० व ३१ प्रकृतिक
| २१-२५-२६-२७| २८-२९-३० व ३१
४
४
सत्त्वस्थानगत प्रकृतिसंख्या का विवरण
९३-९२-९१ व ९०
९३-९२-९१ व १०