Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-६१९
अडवीसचऊ बंधा पणछव्वीसं च अस्थि तेउम्मि।
पढमचउक्कं सत्तं सुक्के ओहिं व वीसयं चुदओ ।।७३१॥ अर्थ – लेश्यामार्गणागत कृष्ण-नील व कापोतरूप अशुभलेश्याओंमें बन्ध-उदयसत्त्वस्थान असंयमवत् हैं। पीत (तेजो) लेश्यामें बन्धस्थान २५-२६ व २८ आदि प्रकृतिरूप चार इसप्रकार ६ हैं, उदयस्थान पुरुषवेदके समान तथा सत्त्वस्थान ९३ आदि प्रकृतिरूप चार हैं। पालेश्या बन्धस्थान २८ आदि प्रकृतिरूप चार हैं, उदयस्थान पुरुषवेदवत् हैं तथा सत्त्वस्थान ९३ आदि प्रकृतिरूप चार हैं। शटललेश्या बन्ध-उद्म और सत्त्वस्थान अवधिज्ञानके समान है, किन्तु विशेष यह है कि यहाँ २० प्रकृतिक उदयस्थान भी पाया जाता है।
लेश्यामार्गणा में बन्ध-उदय-सत्त्वस्थानसम्बन्धी सन्दृष्टि
लेश्या
मार्गणा
बन्ध- बन्धस्थानगत | उदव- स्थान प्रकृति - संख्या
प्रकृति-सख्या स्थान |संख्या का विवरण संख्या
उदयस्थानगत | सत्त्व- | सत्त्वस्थानगत प्रकृतिप्रकृति संख्या का | स्थान | संख्या का विवरण
विवरण संख्या
कृष्ण-नील| ६ | २३-२५-२६- | ९ | २१-२४-२५-२६- व कापोत २८-२९
२७-२८-२९-३० व ३० प्रकृतिक
७ | ९३-९२-९१-९०.
८८-८४२८२ | प्रकृतिक
पीतलेश्या
४ | ९३-९२-९१ व ९०
२५-२६-२८-
२९-३० व ३१ प्रकृतिक
८ | २१-२५-२६-२७-
२८-२९-३० व ३१ प्रकृतिक
पद्यलेश्या । ४
२८-२९-३०
व ३१
शुक्ल
८
५ । २८-२९-३०-३१] ९ । २०-२१-२५-२६- व १ प्रकृतिक
२७-२८-२९-३० | | व ३१ प्रकृतिक
९३-९२-९१-९० - ८०-७९-७८ व ७७
प्रकृतिक