Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-५५२
४०८०
२३०४
११५२
मिश्र
२३०४
३४५८
२६ प्रकृतिरूप २९ प्रकृतिरूप ३० प्रकृतिरूप ३१ प्रकृतिरूप २९ प्रकृतिक ३० प्रकृतिक ३१ प्रकृतिक २१ प्रकृतिक २५ प्रकृतिक २६ प्रकृतिक २७ प्रकृतिक १४ प्रकृतिक
इस गुणस्थानसंबंधी विशेषकथन गाथा ६०७ के विशेषार्थके अनुसार जानना। इस गुणस्थानसंबंधी विशेषकथन गाथा ६०७ के विशेषार्थके अनुसार जानना।
असंयत
प्रकृतिक
२३०५ ११५२ २८८
देशसंयत
४३२
इस गुणस्थानसंबंधी विशेषकथन माथा ६०७ के विशेषार्थक अनुसार जानना।
प्रमत्तसंयत
१४८
३० प्रकृतिक ३१ प्रकृतिक ३० प्रकृतिक ३१ प्रकृतिक २५ प्रकृतिरूप २७ प्रकृतिरूप २८ प्रकृतिरूप २९ प्रकृतिरूप ३० प्रकृतिरूप ३० प्रकृतिक ३० प्रकृतिक ३० प्रकृतिक ३० प्रकृतिक ३० प्रकृतिक
१४४
४
अप्रमत्तसंयत उपशमक अपूर्व. उप. अनिवृत्ति. उप. सूक्ष्मसांप. उपशान्तकषाय
इस गुणस्थानसंबंधी विशेषकथन गाथा ६०७ के विशेषार्थके अनुसार जानना। इस गुणस्थानसंबंधी विशेषकथन गाथा ६०७ के विशेषार्थके अनुसार जानना। इस गुणस्थानसंबंधी विशेषकथन गाथा ६०७ के विशेषार्धके अनुसार जानना। क्षपकश्रेणीके चारों गुणस्थानोंके कुल भंगोंकी संख्या ९६ है।
२८८
क्षपक अपूर्वकरण
३० प्रकृतिरूप