Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटलार कर्मकाण्ड - ५९६
५ प्रकृतिक तीन उदयस्थान हैं तथा ९ प्रकृतिका बन्ध होते हुए २१ प्रकृतिक सत्त्वस्थानमें ७ प्रकृतिक उदयस्थानका अभाव होनेसे ६-५ व ४ प्रकृतिक तीन उदयस्थान हैं। उपशमकअपूर्वकरण में ९ प्रकृतिके बन्धमें २८-२४ व २१ प्रकृतिक सत्त्वस्थानमें ६-५ व ४ प्रकृतिक तीन उदयस्थान हैं एवं क्षपकअपूर्वकरणके २१ प्रकृतिका सत्त्व होते हुए ६-५ व ४ प्रकृतिरूप तीन उदयस्थान हैं। उपशमक अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में २८-२४ व २१ प्रकृतिका और क्षपकअनिवृत्तिकरणके १३-१२ व ११ प्रकृतिका सत्त्व होते हुए ५ प्रकृतिके बन्धसहित २ प्रकृतिका एवं ४ प्रकृतिका बन्ध होते हुए २ प्रकृतिका उदय है, किन्तु ११-५ व ४ प्रकृतिका सत्त्व होते हुए १ प्रकृतिका उदय है।
अर्थ - ३-२ व १ प्रकृतिके बन्धसहित उपशमकअनिवृत्तिकरणके २८-२४ व २१ प्रकृतिका सत्त्व होनेपर और क्षपकअनिवृत्तिकरणके ४ व ३ प्रकृतिका, ३ व २ प्रकृतिका अथवा २ ब १ प्रकृतिका सत्त्व होनेपर एक-एक प्रकृतिक हो उदयस्थान होता है। यहाँ नवकसमयबद्धकी विवक्षासे दो-दो प्रकारके सत्त्व कहे हैं ।
अधिकरणरूप बन्ध-सत्त्वस्थान में आधेयरूप उदयस्थानसम्बन्धी सन्दृष्टि
बन्धस्थान
विवरण
तिदुइगिबंधे अडचउरिगिवीसे चदुतिएण ति दुगेण । दुगिसत्तेण य सहिदे कमेण एक्को हवे उदओ ॥ ६८४ ॥
मिथ्यादृष्टिके
२२
२२
अधिकरण
सव
सत्त्वस्थानगत
स्थानकी प्रकृति संख्या
संख्या
२
२८ प्रकृतिक
२७ व २६ प्र.
उदय
स्थानकी
संख्या
૪
३
आधेय
उदयस्थानगत प्रकृतिसंख्या विवरण
९० ९ व ८ प्रकृतिक अनन्तानुबन्धी सहित एवं ९८ ਬ '७ प्रकृ तिक अनंतानुबन्धी रहित ।
१०-९-८ प्रकृतिक । यहाँ
सम्यक्त्व
और
सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृतिकी उद्वेलना है अतः अनन्तानुबन्धीरहित उपर्युक्त
उदयस्थान नहीं हैं।