Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटस
इण्ड-६१
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अर्थ -- काययोगके औदारिककाययोगमें बन्धस्थान सर्व, उदयस्थान २५-२६-२७-२८-२९३० व ३१ प्रकृतिक सात हैं तथा सत्त्वस्थान १० व ९ प्रकृतिकबिना शेष सभी हैं। औदारिकमिश्रकाययोगमें २३-२५-२६-२८-२९ व ३० प्रकृतिक ६ बन्धस्थान, २४-२६ व २७ प्रकृतिरूप तीन उदयस्थान एवं सत्त्वस्थान औदारिककाययोगवत् ही हैं। (२७ प्रकृतिक उदयस्थान तीर्थङ्करकेवलीके कपाटसमुद्घातकी अपेक्षा है।) वैक्रियककाय व वैक्रियकमिश्रकाययोगमें बन्ध व सत्त्वस्थान तो देवगतिके समान ही हैं, किन्तु वैक्रियककाययोगमें उदयस्थान २७-२८ व २९ प्रकृतिक तीन और वैक्रियकमिश्रकाययोगमें एक २५ प्रकृतिक ही है। आहारककाय-आहारकमिश्रकाययोगमें बन्धस्थान २८ व २९ प्रकृतिक दो, उदयस्थान आहारककायमें २७-२८ व २९ प्रकृतिक तीन एवं आहारकमिश्रकायमें २५ प्रकृतिरूप एक है, सत्त्वस्थान दोनोंमें ९३ व ९२ प्रकृतिरूप दो-दो हैं। कार्मणकाययोगमें बन्ध व सत्त्वस्थान औदारिकमिश्रकारयोगवत् है, किन्तु उदयस्थान २० व २१ प्रकृतिक दो हैं।
योगमार्गणासम्बन्धी बन्थ-उदय-सत्त्वस्थान की सन्दृष्टियोगमार्गणा |बन्ध-| बन्धस्थानगत उदय - | उदयस्थानगत - | सत्त्व- | सत्त्वस्थानगत प्रकृति
स्थान प्रकृति-संख्या स्थान प्रकृति संख्या का | स्थान | संख्या का विवरण
संख्या का विवरण संख्या | विवरण संख्या मन-वचनयोग | ८ |२३-२५-२६-२८- | ३ | २९-३० व ३१ | १० |९३-९२-९१-९० - | २९-३०-३१ व १
८८-८४-८०-७९प्रकृतिक
७८ व ७७ औदारिक काय ८ २३-२५-२६-२८- | ७ | २५-२६-२७- | १५ |९३-९२-९१-९०
|२९-३०-३१ व १ | R८-२९-३०व३१/ ८८-८४-८२-८०प्रकृतिक
७९-७८५७७ प्रकृतिक औदारिकमिश्र | ६ |२३-२५-२६-२८- | ३ | २४-२६ व २७ / ११ २९ व ३०
प्रकृतिक वैक्रियककाय | ४ |२५-२६-२९ व ३० | ३ | २७-२८ व २९ | ४ |९३-९२-९१ व ९०
प्रकृतिक वैक्रियकमिश्र | ४ २५-२६-२९ व ३० | १ | २५ प्रकृतिक | ४ |९३-९२-११ व ९० आहारककाय | २२८ व २९ प्रकृतिक | ३ | २७-२८ व २९ , २ ९३ व ९२ प्रकृतिक
प्रकृतिक आहारकमिश्र | २ |२८ व २९ प्रकृतिक | १ | २५ प्रकृतिक , २ |९३ व ९२ प्रकृतिक कार्मणकाय | ६ |२३-२५-२६-२८- | २ | २० व २१ |९३-९२-९१-९०. |२९ व ३० प्रकृतिक | प्रकृतिक
८८-८४-८२-८०७९-७८ व ७७ प्रकृ.