Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ६१४
अथानन्तर वेद और कसायमार्गणा में बन्ध-उदय व सत्त्वस्थान कहते हैं
स्त्रीवेद
अर्थ - वेद और कषायमार्गणामें बन्धस्थान सर्व, २१ प्रकृतिकस्थानको आदि करके उदयस्थान ९, किन्तु स्त्री व पुरुषवेदमें २४ प्रकृतिक उदयस्थान नहीं है, क्योंकि इस स्थानका उदय एकेन्द्रियके ही पाया जाता है। सत्त्वस्थान ९३ आदि प्रकृतिरूप ११ हैं, किन्तु स्त्री व नपुंसकवेदमें ८० व ७८ प्रकृतिक दोसत्वस्थान नहीं हैं, क्योंकि तीर्थङ्गरप्रकृतिकी सत्तावाला पुरुषवेदसहित ही क्षपकश्रेणी चढ़ता है।
वेदमार्गणा बन्ध
स्थान
संख्या
पुरुषवेद
वेदमार्गणा में बन्ध-उदय व सत्त्वस्थानसम्बन्धी सन्दृष्टि
नपुंसक वेद
८
८
वेदकसाये सव्वं इगिवीसणवं तिणउदिएक्कारं । श्रीपुरिसे चउवीसं सीदडसदरी ण श्रीसंढे ॥७२२ ॥
८
बन्धस्थानगत
प्रकृति - संख्या
का विवरण
| २३-२५-२६-२८
२९-३०-३१ व १
"
31
२३-२५-२६-२८२९ ३० ३१ व १
उदय
स्थान
संख्या
८
८
९
उदयस्थानगत
प्रकृति संख्या का विवरण
२१-२५-२६-२७२८-२९-३० व ३१
33
73
२१-२४-२५-२६२७-२८ २९ ३० व ३१ प्रकृतिक
...
सत्त्व
स्थान
संख्या
९
११
९
सत्त्वस्थानगत प्रकृतिसंख्या का विवरण
९३-९२-९१-९०८८-८४-८२-७९
व ७७
९३ ९२-९१ ९०८८-८४-८२-८०
७९-७८- ७७ ९३-९२-९१-१०
८८-८४-८२-७१
व ७७