Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
गोम्मटसार कर्मकाण्ड-५५०
कर्मभूमिजसञ्जीतिर्यञ्चके ६ संस्थान और ६ संहननकी अपेक्षा (६x६) ३६ भंग, इसप्रकार २६ प्रकृतिकस्थानके ३७ भंग हैं। २७ प्रकृतिकस्थानमें धर्मानरक और वैमानिकदेवोंके एक-एक भंगकी अपेक्षा दो भंग हैं। २८ प्रकृतिकउदयस्थानमें भोगभूमिजतिर्यञ्च, घर्मानारकी और वैमानिकदेवोंके उच्छ्वासपर्याप्तिकालसम्बन्धी एक-एकभंग होनेसे तीनभग तथा कर्मभूमिजमनुष्यके ६ संस्थान-६ संहनन
और विहायोगांतयुगलकी अपेक्षा (६x६४२) ७२ भंग इसप्रकार २८ प्रकृतिक स्थानसम्बन्धी (७२+३) ७५ भंग हैं। २९ प्रकृतिकस्थानके श्वासोच्छ्वासपर्याग्निकालमें भोगभूमिजतिर्यञ्च और मनुष्यके प्रशस्तप्रकृतियोंका ही उदय है अतः एक-एक भंग होनेसे दो भंग हैं तथा देव-नारकीके भाषापर्याप्तिकालमें एक-एक भंग होनेसे दो भंग, कर्मभूमिजमनुष्यके श्वासोच्छ्वासपर्याप्तिकालमें ६ संस्थान, ६ संहनन
और विहायोगतियुगलकी अपेक्षा (६४६४२) ७२ भंग, इसप्रकार २९ प्रकृतिक स्थानमें सर्व (२+२+७२) ७६ भंग हैं। ३० प्रकृतिक उदयस्थानमें उद्योतसहित भोगभूमिजतिर्यञ्चके श्वासोच्छ्वासपर्याप्तिकालमें एक भंग तथा कर्मभूमिज सञ्जीतिर्यञ्च-मनुष्यके ६ संस्थान, ६ संहनन एवं विहायोगति, सुभग, सुस्वर, आदेय और यश:कीर्ति पाँचयुगलकी अपेक्षा (६x६x२x२x२x२x२) ११५२+११५२-२३०४ भंग इसप्रकार ३० प्रकृतिक स्थानमें (१+२३०४) २३०५ भंग जानना । ३१ प्रकृतिक उदयस्थानमें उद्योतसहित सञ्जीपञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चके ६ संस्थान, ६ संहनन एवं विहायोगति, सुभग, सुस्वर, आदेय और यशस्कीर्तिरूप पाँचयुगलों की अपेक्षा ११५२ भंग हैं। इसप्रकार असंयतगुणस्थानमें सर्व (४+२+३७+२+७५+७६+२३०५+११५२) ३६५३ भंग जानना।
देशसंयतगुणस्थान में ३० प्रकृतिक उदयस्थानमें सौतिर्यञ्च और मनुष्यके ६ संस्थान, ६ संहनन तथा विहायोगति और सुस्वरयुगलकी अपेक्षा (६४६४२४२) १४४+१४४=२८८ भंग हैं। ३१ प्रकृतिक उदयस्थानमें उद्योतसहित सक्षीपञ्चेन्द्रियके ६ संस्थान, ६ संहनन एवं विहायोगति-सुस्वरयुगलकी अपेक्षा (६४६४२४२) १४४ भंग हैं। इसप्रकार देशसंयतगुणस्थानमें सर्व (२८८+१४४) ४३२ भंग हैं।
प्रमत्तगुणस्थान के आहारकमिश्रकालमें २५ प्रकृतिक उदयस्थानका एकभंग, शरीरपर्याप्तिकालमें २७ प्रकृतिक उदयस्थानका एकभंग, श्वासोच्छ्वासपर्याप्तिकालमें २८ प्रकृतिरूप उदयस्थानमें एकभंग, भाषापर्याप्तिकालमें २१ प्रकृतिकस्थानका एक भंग, औदारिकशरीरके भाषापर्याप्तिकालमें ३० प्रकृतिकस्थानके ६ संस्थान, ६ संहनन तथा विहायोगति-स्वरयुगलकी अपेक्षा (६x६x२x२) १४४ भंग हैं। इसप्रकार प्रमत्तगुणस्थानसम्बन्धी सर्व (१+१+१+१+१४४) १४८ भंग जानना।
अप्रमत्तगुणस्थान में ३० प्रकृतिरूप उदयस्थानमें ६ संस्थान, ६ संहनन तथा विहायोगतिसुस्वरयुगलकी अपेक्षा (६x६x२x२) १४४ भंग हैं। उपशमश्रेणीसम्बन्धी चारों उपशमकगुणस्थानों में प्रत्येकगुणस्थानके ६ संस्थान, ३ संहनन तथा विहायोगति-स्वरयुगलकी अपेक्षा (६४३४२४२) ७२७२ भंग हैं एवं क्षपकश्रेणीसम्बन्धी चारगुणस्थानोंमें ६ संस्थान, १ संहनन तथा विहायोगति