Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ५१५
४६०८, ३० प्रकृतिरूप स्थानमें ४६०८, मनुष्ययुत २५ प्रकृतिके स्थान में एक, २९ प्रकृतिके स्थान में ४६०८, देवगतियुत २८ प्रकृतिके स्थानमें ८ भ हैं। सासादनगुणस्थानमें नरकगतियुत स्थान नहीं है। तिर्यञ्चगतियुत २९ प्रकृतिके स्थान में ३२००, ३० प्रकृतिके स्थानमें ३२०० | मनुष्यगतियुत २९ प्रकृतिरूप स्थानमें ३२०० एवं देवगतियुत २८ प्रकृतिके स्थान में ८ भङ्ग हैं। मिश्र और असंयतगुणस्थानमें नरकतिर्यञ्चगतियुत स्थान नहीं है अतः मिश्रगुणस्थानमें मनुष्यगतियुत २९ प्रकृतिके स्थानमें आठ भङ्ग हैं। देवगतियुत २८ प्रकृति स्थानमें आठ भङ्ग हैं, असंयतगुणस्थानमें मनुष्ययुत २९ ३० प्रकृतिके एवं देवयुत २८-२९ प्रकृतिके स्थानोंमें आठ भङ्ग हैं। देवगतियुत २८ २९ ३० ३१ प्रकृतिरूप स्थानोंमें एक-एक भंग हैं, क्योंकि इनका बन्ध अप्रमत्त और अपूर्वकरणगुणस्थानके छठेभागपर्यन्त होता है। देशसंयत और प्रमत्तगुणस्थानमे देवगतियुत २८ - २९ प्रकृतिरूप स्थानमें आठ-आठ भङ्ग हैं।
भंग
विशेष
गुणस्थान
बन्ध स्थान
तिर्यञ्चगतियुत २३ प्रकृतिक
मिथ्यात्व मिथ्यात्व तिर्यञ्चगतियुत २५ प्रकृतिक मिथ्यात्व मनुष्ययुत २५ प्रकृतिक मिथ्यात्व मिथ्यात्व नरकयुत २८ प्रकृतिक मिथ्यात्व
तिर्यञ्चयुत २६ प्रकृतिक
देवयुत २८ प्रकृतिक पंचेन्द्रियपर्याप्त तिर्यंचयुत
मिथ्यात्व
२९ प्र.
मिथ्यात्व मनुष्यपर्याप्तयुत २९ प्रकृतिक
१.
८
१
८
१
८
४६०८
असंयतसम्यग्दृष्टि
४६०८
मिथ्यात्व | पंचेन्द्रियपर्याप्त तिर्यञ्च उद्योतयुत ४६०८ ३० प्रकृतिक मनुष्यपर्याप्तयुत २९ प्रकृतिक
देव - तीर्थङ्करयुत २९ प्रकृतिक
मनुष्य तीर्थङ्करयुत प्रकृतिक
देवगतियुत २८ प्रकृतिक
८
८
८
८
शुभ - स्थिर - यश: कीर्तियुगल
२x२x२ = ८
शुभ - स्थिर -:
र-यश: कीर्तियुगल
२x२x२ = ८
शुभ - स्थिर - यश: कीर्तियुगल २४२४२ = ८ संहनन संस्थान- स्थिरादि ६ युगल विहायोग.
६ x ६४६x२
संहनन - संस्थान- स्थिरादि ६ युगल - विहायोग.
६*६४६x२
संहनन संस्थान- स्थिरादि ६ युगल विहायोग.
६×६×६x२
शुभ - स्थिर-:
२x२x२ = ८
शुभ - स्थिर - यश: कीर्तियुगल
(- यश: कीर्तियुगल
२x२x२ = ८
शुभ - स्थिर-यश: कीर्तियुगल
२x२x२ = ८
शुभ - स्थिर - यश: कीर्तियुगल
२x२×२ = ८