Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-५२२
प्रकृतिके स्थानको आदि लेकर सर्वस्थानोंके भंगोंको बाँधता है तो २३ प्रकृतिक स्थानके ११ भङ्गोंको बाँधते हुए कितने भंगोंको बाँधेगा? इसप्रकार त्रैराशिक करनेपर प्रमाणराशि तो २३ प्रकृतिक बन्धस्थानका एक ही भेद, फलराशि अनुक्रमसे २५ प्रकृतिक स्थानके ७०, २६ प्रकृतिक बन्धस्थानके ३२, २८ प्रकृतिक बन्धस्थानके ९, २९ प्रकृतिरूप बन्धस्थानके ९२४८ और ३० प्रकृतिरूप स्थानके ४६४० भंग हैं। इच्छाराशि सर्वत्र २३ प्रकृतिरूप स्थानके ११ भंग हैं अतः फलराशिको इच्छाराशिसे गुणा करके प्रमाणराशिका भाग देनेसे सर्बभेदोंका प्रमाण आता है। इसप्रकार यहाँ इच्छाराशिका प्रमाण ११ और फलराशि ७०+३२+९+९२४८+४६४० = १३,९९९ भंग और प्रमाणराशि १। ५३,९९९४११ - १,५३,९८९ भेद हुए सो ये २३ प्रकृतिरूप स्थानके भुजकार भंग हुए तथा २५ प्रकृतिका बन्धकर पश्चात् .२६ प्रकृतिका स्थानये ३० हाकतिक स्थानपर्यन्त सर्वस्थानोंको बाँधता है तब भुजकार बन्ध होता है। एकभेदरूप २५ प्रकृति के स्थानका बन्धकर पश्चात् २६ आदि प्रकृतियोंके सर्वभंगोंका बन्ध होता है तो २५ प्रकृतिरूप स्थानके ७० भंगोंको बाँधते हुए कितने भंगोंका बन्ध करेगा? इसप्रकार त्रैरांशिक करनेपर सर्वत्र प्रमाणराशि २५ प्रकृतिरूप एकस्थान, फलराशि क्रमसे २६ प्रकृतिक स्थानके ३२ भंग, अट्ठाईसप्रकृतिक स्थानके ९, उनतीस प्रकृतिक स्थानके ९२४८ और तीस प्रकृतिक स्थानके ४६४० भाग और इच्छाराशि पच्चीसप्रकृतिक स्थानके ७० भंग। सो फलराशि ३२+९+९२४८+४६४०=१३,९२९ को इच्छाराशिके प्रमाण ७० से गुणा करनेपर १३,९२९४७०= ९,७५,०३० ये २५ प्रकृतिकस्थानके भंग हुए। प्रमाणराशिका प्रमाण यहाँ भी एक ही था। २६ प्रकृतिक स्थानका बन्ध करके २८ आदि प्रकृतियोंका बन्ध करता है अतः भुजकारबन्ध है। छब्बीस प्रकृतिरूपस्थानके एक भंगका बन्ध करनेके अनन्तर अट्ठाईस आदि प्रकृतियोंके सर्वभंगोंका बन्ध करे तो २६ प्रकृतिक स्थानके ३२ भंगोंका बन्ध करते हुए कितने भंगोंका बन्ध करेगा? इसप्रकार यहाँ त्रैराशिकविधि करना। प्रमाणराशि तो २६ प्रकृतिक स्थानका एक भेद, फलराशि क्रमसे २८ प्रकृतिक स्थानके ९, उनतीस 'प्रकृतिक स्थानके ९२४८, तीसप्रकृतिक स्थानके ४६४० भंग हैं तथा इच्छाराशि छब्बीसप्रकृतिक स्थानके ३२ भंग हैं। फलराशि ९+९२४८+४६४० = १३,८९७ को इच्छाराशिके प्रमाण ३२ से गुणा करनेपर (१३८९७४३२) ४,४४,७०४ प्रमाण छब्बीस प्रकृतिरूप स्थानके भंग जानने । २८ प्रकृतिका बन्ध करके पश्चात् उनतीस व ३० प्रकृतिका बन्ध करता है सो यह भुजकारबन्ध है। अट्टाईस प्रकृतिरूप स्थानके एक भेदका बन्धकरके २९ व ३० प्रकृतिके सर्वभंगोंका बन्ध करता है तो अट्ठाईस प्रकृतिक बन्धस्थानके ९ भंगोंका बन्ध करते हुए कितने भंगोंको बाँधेगा? इसप्रकार त्रैराशिक विधि करनेपर यहाँ प्रमाणराशि २८ प्रकृतिक बन्धस्थानरूप एकभेद, इच्छाराशि २८ प्रकृतिक स्थानके ९ भंग तथा फलराशि क्रमसे उनतीस प्रकृतिरूप स्थानके ९२४८ और ३० प्रकृतिरूप स्थानके ४६४० भंग हैं। फलराशि ९२४८+४६४०% १३.८८८ को इच्छाराशि ९ से गुणा करनेपर (१३,८८८४९) १,२४.९९२ भंग २८ प्रकृतिक स्थानके जानना । उनतीस प्रकृतिका बन्ध करके अनन्तर तीस प्रकृतियोंके स्थानको बाँधता है तो भुजकारबन्ध होता है। २९ प्रकृतियोंके एक भेदको बाँधकर ३० प्रकृतियोंके सर्व ४६४० भंगोंको बाँधता है तो २९ प्रकृतियोंके