Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-५४१
ही उच्छ्वासपर्याप्तिकालमें, तीर्थकरसमुद्घातकेवलीके शरीरपर्याप्तिकालमें, आहारकशरीरके भाषापर्याप्तिकालमें और देव-नारकीके भी भाषापर्याप्तिकालमें
उदययोग्य हैं। ३० प्रकृतिक चारस्थान - द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय व पञ्चेन्द्रियके उच्छ्वासपर्याप्तिकालमें,
सामान्यमनुष्य, पञ्चेन्द्रिय और द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रियके भाषापर्याप्तिकालमें, तीर्थङ्करसमुद्घातकेवलीके उच्छ्वासपर्याप्तिकालमें और सामान्यसमुद्घातकेवलीके
भाषापर्याप्तिकालमें उदययोग्य है। ३१ प्रकृतिक दोस्थान - तीर्थकरके वलीके भाषापर्याप्तिकालमें, द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रिय और
पञ्चेन्द्रियके भाषापर्यामिकालमें उदययोग्य है। ९ प्रकृतिक एकस्थान - अयोगीतीर्थङ्करकेवलीके उदययोग्य है। ८ प्रकृतिक एकस्थान - अयोगीसामान्यकेवलीके उदययोग्य है।
नामकर्मसम्बन्धी उदयस्थानोंका काल एवं उनके स्वामी सम्बन्धी सन्दृष्टि
स्वामी
| एकेन्द्रिय | देव । नारकी | तिर्थच | मनुष्य | सामान्य | तीर्थंकर विशेष
सामान्य केवली | केवली | मनुष्य
भाषापर्याप्तिकाल
श्वासोच्छ्वास
| २८ । २८
२९ । ३०
२८
शरीरपर्याप्तिकाल
२६
२५
शरीरमिश्रकाल
|२५ | २५ । २६ ।
| २६ । २७
२५
कार्मणकाल