Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-४७०
उपशान्तकषाय और क्षीणकषाय इन सात गुणस्थानों में १-९ योग, प्रमत्त गुणस्थान में ११, सयोग केवली के ७ योग हैं तथा अयोगकेवली के योगों का अभाव है।
विशेषार्थ- किस-किस गुणस्थान में कौन-कौन से योग होते हैं उसे निम्न सन्दृष्टि से जानना चाहिए।
गुणस्थान
योग संख्या
विशेष विवरण
मिथ्यात्व
सासादन
मिश्र
असंयत देशसंयत
प्रमत्त
४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग, औदारिकमिश्रकाययोग, वैक्रियककाययोग, वैक्रियकमिश्रकाययोग, कार्मणकाययोग। उपर्युक्त। ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग, . बैक्रियककाययोग। मिथ्यात्वगुणस्धानोक्त। ... ४. मनोयोग : ४ वचनयोग. और औदारिककाययोगा। ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग, आहारककाययोग, आहारकमिश्रकाययोग। ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग । ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग । ४ मनोयोग, ४ बचनयोग, औदारिककाययोग। ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग। ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग । ४ मनोयोग, ४ वचनयोग, औदारिककाययोग। सत्य-अनुभयमनोयोग, सत्य-अनुभयवचनयोग, औदारिककाययोग, औदारिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग।
अप्रमत्त अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण सूक्ष्मसापराय उपशांतकषाय क्षीणकषाय सयोगकेवली
अयोगकेवली
अथानन्तर अपर्याप्त और पर्याप्तावस्थासम्बन्धी योगों से युक्त गुणस्थानों का कथन करते हैं
मिच्छे सासण अयदे, पमत्तविरदे अपुण्णजोगगदं। पुण्णगदं च य सेसे, पुण्णगदे मेलिदं होदि ।।४९५ ।।