Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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नामकर्म के बन्धस्थानों की सन्दृष्टि
२३ प्रकृतिक १ स्थान १. एकेन्द्रिय अपर्याप्तयुत
२६ प्रकृतिक २ स्थान १. एकेन्द्रियपर्याप्त आतपयुत २. एकेन्द्रियपर्याप्त उद्योतयुत
एकप्रकृतिकस्थान ४. यशस्कीर्तियुत
६० प्रकृतिक ६ स्थान १. दयपर्याप्त उद्योतयुक्त २. श्री. द्रेयपर्याप्त उद्योतयुत ३. चरन्द्रियपर्याप्त उद्योतयुगत ४. पज्जेन्द्रियपर्याप्त उद्योतयुत ५. मनुष्य, तीर्थकरयुत ६. देव, आहार+युत
२८ प्रकृतिक २ स्थान | १. देवगति संयुक्त । २. नरकगति संयुक्त
२५ प्रकृतिक ६ स्थान १. एकेन्द्रियपर्याप्त संयुक्त २. द्वीन्द्रियअपर्याप्त संयुक्त ३. त्रीन्द्रियअपर्धा संयुक्त ४. चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त संयुक्त ५. पंचेन्द्रियअपर्याप्त संयुक्त ६. मनुष्य अपर्याप्त संयुक्त
गोम्मटसार कर्मकाण्ड-४९१
३१ प्रकृतिक, १ स्थान १. देव, आहारक, तीर्थक्षरयुत
२९ प्रकृतिक ६ स्थान १. द्वीन्द्रियपर्याम संयुक्त २. त्रीन्द्रियपर्याप्त संयुक्त ३. चतुरिन्द्रियपर्याप्त संयुक्त ४. पञ्चेन्द्रियपर्याप्त संयुक्त ५. मनुष्यपर्याम संयुक्त ६. देव, तीर्थकर संयुक्त