Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-४५८
गुणस्थान
सासादन
मिश्र | अविरत
देशविस्त
प्रमन | अप्रम
अपूर्वकरण
अनिवृत्तिकरण
सूक्ष्मसाम्पराय
- . | मिथ्यात्व
गाथा ४७७के अनुसार उदयस्थान
।९।८।८
८
।८।
6
गाथा ४७८ के अनुसार उदयस्थान
|८
०
जोड़
नोट- अनिवृत्तिकरण गुणस्थान के ५ भाग हैं उसके उदयस्थान २-१-१-१-१ हैं, किन्तु ऊपर संदृष्टि में २-१ इस प्रकार संक्षेप में ही लिखा गया है।
___ आगे अपुनरुक्तस्थानों को कहते हैंदसणवणवादि चउतियतिवाण णवट्ठसगसगादि चऊ । ठाणा छादि तियं च य, चदुबीसगदा अपुव्वोत्ति ॥४८०॥
अर्थ- मिथ्यात्वगुणस्थान में दशआदि प्रकृति रूप उदयस्थान हैं अर्थात् १० प्रकृतिरूप, ९ प्रकृति रूप, ८ प्रकृति रूप और ७ प्रकृति रूप हैं। सासादन और मिश्रगुणस्थान में ९-८ व ७ प्रकृति रूप, असंयत्तगुणस्थान में ९-८-७ व ६ प्रकृति रूप हैं। देशसंयत में ८-७-६ व ५ प्रकृतिरूप हैं। प्रमत्त
और अप्रमत्तगुणस्थान में ७-६-५ व ४ प्रकृति रूप, अपूर्वकरणगुणस्थान में ६-५-४ प्रकृति रूप उदयस्थान हैं, ये सभी स्थान २४-२४ भंगों से संयुक्त हैं। मिथ्यात्वादि ५ गुणस्थानों में जो अपुनरुक्त स्थान कहे उनमें किसी-किसी की संख्या समान होते हुए भी प्रकृतिभेद की अपेक्षा अपुनरुक्तपना है। जैसे- ९-९ प्रकृतिरूप स्थान बहुत तथापि उनमें प्रकृतियाँ भिन्न-भिन्न पाई जाती हैं इसलिए अपुनरुक्तता है, क्योंकि मिथ्यात्वगुणस्थान में जो स्थान हैं वे मिथ्यात्वप्रकृति सहित हैं, सासादनगुणस्थान में