Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ४६७
प्रकरणप्राप्त उपयोग का कथन करते हैं कि कौन-कौन से उपयोग किस-किस गुणस्थान में पाए
जाते हैं—
मिध्यात्व गुणस्थान
सासादन गुणस्थान में
मिश्र गुणस्थान में
असंयत गुणस्थान
देशसंयत गुणस्थान में
प्रमत्त गुणस्थान में
अप्रमत्त गुणस्थान
अपूर्वकरण गुणस्थान में
अनिवृत्तिकरण गुणस्थान
में
में
- चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, कुमति, कुश्रुत और विभंग ज्ञान ।
―
- चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, कुमति. कुश्रुत और विभंग ज्ञान ।
• चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन और मिश्ररूप तीन ज्ञान ।
- चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन अवधिदर्शन तथा मति श्रुत- अवधिज्ञान ।
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- चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन अवधिदर्शन तथा मति श्रुत-अवधिज्ञान ।
- चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन तथा मति श्रुत और मन:पर्ययज्ञान |
चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, मति, श्रुत, अवधि और मन:पर्ययज्ञान |
-चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, मति, श्रुत, अवधि और मन:पर्ययज्ञान |
-चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन अवधिदर्शन, मति श्रुत अवधि और मन:पर्ययज्ञान |
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सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान -चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, मति, श्रुत, अवधि और
मन:पर्ययज्ञान ।
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उपशान्तकषाय गुणस्थान में चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, मति, श्रुत, अवधि और मन:पर्ययज्ञान | -चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, मति, श्रुत, अवधि और मन:पर्ययज्ञान |
क्षीणमोह गुणस्थान में
सयोगकेवली गुणस्थान में
- केवलदर्शन और केवलज्ञान ।
अयोगकेवली गुणस्थान
- केबलदर्शन और केवलज्ञान ।
गुणस्थान की अपेक्षा उपयोग, मोहनीय के उदयस्थान व प्रकृति की संख्या का परस्पर गुणा करके जो स्थान और प्रकृति संख्या होती हैं उन्हें इस संदृष्टि में दिखाते हैं