Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-४१७
विशेषार्थ- हास्य, रति, भय और जगुप्सा के अधःपवनसंका. गुणसंकम और सर्वसंक्रम होते हैं। यथा- औदारिकद्विक और प्रथमसंहनन का मिथ्यात्व से असंयतगुणस्थान तक अध:प्रवृत्तसंक्रम होता है, क्योंकि वहाँ पर उनका बन्ध देखा जाता है। असंख्यातवर्षायुष्क तिर्यञ्चों और मनुष्यों में इनका विध्यातसंक्रम होता है, क्योंकि उनमें इनका बन्ध नहीं होता। तीर्थङ्कर प्रकृति का असंयतगुणस्थान से अपूर्वकरणगुणस्थान तक अध:प्रवृत्तसंक्रम होता है। मिथ्यात्वगुणस्थान में उसका विध्यातसंक्रम होता है, क्योंकि वहाँ उसका बन्ध नहीं होता।
सम्मत्तूणुव्वेलणथीणतितीसं च दुक्खवीसं च।
वज्जोरालदुतित्थं मिच्छं विज्झादसत्तट्ठी ।।४२६॥ अर्थ- सम्यक्त्वप्रकृति के बिना १२ उद्वेलनप्रकृतियाँ, स्त्यानगृद्धि आदि तीन निद्रा, अनन्तानुबन्धी-अप्रत्याख्यान और प्रत्याख्यान की १२ कषाय, स्त्री नपुंसकवेद, अरति-शोक, तिर्यञ्चद्विक, एकेन्द्रियादि ४ जाति, आतप, उद्योत, स्थावर, सूक्ष्म, साधारण, असातावेदनीय, अप्रशस्तविहायोगति, वज्रर्षभनाराचसंहनन बिना ५ संहनन, समचतुरस्रसंहनन बिना ५ संस्थान, नीचगोत्र, अपर्याप्त, अस्थिर, अशुभ, दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय, अयशस्कीर्ति, वज्रर्षभनाराचसंहनन, औदारिकशरीर, औदारिकअंगोपांग, तीर्थङ्कर और मिथ्यात्व ये सर्व ६७ प्रकृतियाँ विध्यातसंक्रमण की हैं।
अब जिन प्रकृतियों का अधःप्रवृत्तसंक्रमण और जिन प्रकृतियों का गुणसंक्रमण होता है उन प्रकृतियों के नाम कहते हैं।
मिच्छूणिगिवीससयं, अधापवत्तस्स होंति पयडीओ। सुहुमस्स बंधघादिप्पहुदी उगुदालुसलदुगतित्थं ।।४२७ ।। वजं पुंसंजलणति ऊणा गुणसंकमस्स पयडीओ।
पणहत्तरिसंखाओ पयडीणियमं विजाणाहि ॥४२८ ॥जुम्मं ॥ अर्थ- मिथ्यात्वप्रकृति बिना शेष १२५ प्रकृतियाँ अधःप्रवृत्तसंक्रमण की जानना तथा सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में बंधने वाली घातिया कर्मों की १४ प्रकृतियों को आदि लेकर ३९ प्रकृति,
औदारिकद्विक, तीर्थङ्कर, वज्रर्षभनाराचसंहनन, पुरुषवेद और सज्वलनक्रोधादि ३ इन ४७ प्रकृतियों के बिना ७५ प्रकृति गुणसंक्रमण संबंधी जानना।
विशेषार्थ- अध:प्रवृत्तसंक्रमण सम्बन्धी प्रकृतियाँ १२१ हैं तथा ५ ज्ञानावरण, ४ दर्शनावरण, ५ अन्तराय, सातावेदनीय, सञ्चलनलोभ, पञ्चेन्द्रियजाति, तैजसकार्मणशरीर, समचतुरस्रसंस्थान