Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - २६६
४.
अनुदयप्रकृति १५ । असंयतगुणस्थान में व्युच्छित्ति अप्रत्याख्यानकषाय ४ और दुर्भग, अनादेय, अयशस्कीर्ति इन ७ प्रकृतियों की, उदय ९४ प्रकृति का, अनुदय १५ प्रकृति का | देशसंयतगुणस्थान में व्युच्छित्ति ८ प्रकृति की, उदयप्रकृति ८७, अनुदयप्रकृति २२ हैं । प्रमत्तगुणस्थान में औदारिककाययोग की प्रवृत्ति होते हुए आहारककाययोग की प्रवृत्ति नहीं होती है, क्योंकि एककाल में दो योग नहीं हो सकते इसलिए यहाँ व्युच्छित्ति स्त्यानगृद्धि आदि ३ की, उदयप्रकृति ७९, अनुदयप्रकृति ३० । अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूपप्रकृति ४, उदयप्रकृति ७६, अनुदयप्रकृति ३३ । अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६, उदयप्रकृति ७२, अनुदयप्रकृति ३७ । अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६, उदयप्रकृति ६६, अनुदप्रकृति ४३ | सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १, उदयप्रकृति ६०, अनुदयप्रकृति ४९ / उपशान्तमोहगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति २, उदयप्रकृति ५९, अनुदयप्रकृति ५० | क्षीणमोहगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १६, उदयप्रकृति ५७, अनुदयप्रकृति ५२ । सयोगीगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ४२, उदयप्रकृति ४२ और अनुदयप्रकृति ६७ हैं।
गुणस्थान
मिथ्यात्व
सरसादन
मिश्र
असंयत
देशसंयत
प्रमत्त
अप्रमत्त
अपूर्वकरण
औदारिककाययोग में उदयव्युच्छित्ति- - उदय-अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टिउदययोग्य प्रकृति १०९, गुणस्थान १३
उदय
व्युच्छित्ति
९
४
१
67
८
३
४
६
उदय अनुदय
१०६
३
९७
९४
९४
८७
७९
७६
७२
१२
१५
१५
२२
३०
३३
३७
विशेष
३ ( तीर्थंकर, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व ) ९ ( मिथ्यात्व, आतप, सूक्ष्म, साधारण, एकेन्द्रिय, स्थावर और विकलत्रय)
४ ( अनन्तानुबन्धीकषाय )
१५(१२+४=१६-१ सम्यग्मिथ्यात्त्व )
१५(१५+१=१६-१ सम्यक्त्व) ७
( अप्रत्याख्यानकषाय ४, दुर्भग, अनादेय, अयशस्कीर्ति)
८ (४ प्रत्याख्यानकषाय + तिर्यञ्चगति, तिर्यञ्चायु, नीचगोत्र और उद्योत )
३ ( स्त्यानगृद्धि आदि तीन निद्रा )
४ ( गाथा २६४ की सन्दृष्टि के अनुसार )
६ ( गाथा २६४ की सन्दृष्टि के अनुसार )