Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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उदय
प्रमत्त
अप्रमत्त
गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२८५ परिहारविशुद्धिसंयम में उदयव्युच्छित्ति-उदय-अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टि
उदयोग्यप्रकृति ७७, गुणस्थान २. .................... उदयगुणस्थान व्युच्छित्ति
अनुदय
विशेष ० | ३ (स्त्यानगृद्धि, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला) ३ | ४ (सम्यक्त्व, अर्धनाराच-कीलित
सृपाटिकासंहनन) सूक्ष्मसाम्परायसंयम में उदयादि का सर्वकथन सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थानवत् जानना। उदययोग्य प्रकृति ६०, गुणस्थान १ सूक्ष्मसाम्पराय ।
यथाख्यातसंयम में, सामान्य गुणस्थानोक्त उपशान्तकषायसम्बन्धी उदयप्रकृति ५९ में एक तीर्थकर प्रकृति और मिलाने से उदययोग्य प्रकृति ६० हैं तथा उपशान्तकषायादि चारगुणस्थान | यहा उपशान्तकषाय गुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति २, उदयप्रकृति ५९, अनुदयप्रकृति १ । क्षीणकषाय में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति १६, उदयरूप प्रकृति ५७, अनुदयरूप प्रकृति ३ हैं। सयोगकेवली गुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ३०,उदयप्रकृति ४२, अनुदयप्रकृति १८ हैं। अयोगकेबलीगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १२, उदयप्रकृति १२, अनुदयप्रकृति ४८ हैं। यथाख्यातसंयम में उदयव्युच्छित्ति-उदय-अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टि
उदययोग्यप्रकृति ६०, गुणस्थान ४
उदय
F०
गुणस्थान
अनुदय
विशेष उपशान्तकषाय २
| २ (वज्रनाराच व नाराचसंहनन)
१ (तीर्थकर) क्षीणकषाय
१६(गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) सयोगकेवली
४२ । १८ ।१८(१६+३=१९-१ तीर्थंकर)
३० (गाथा २६४ के अनुसार) अयोगकेवली
१२(गाथा २६४ की सन्दृष्टि के अनुसार) देशसंयम में उदयादि की सर्वरचना देशसंयतगुणस्थान के समान जानना। उदययोग्य प्रकृति ८७ तथा गुणस्थान एक देशसंयत ।
असंयम में तीर्थङ्कर और आहारकद्विकबिना उदययोग्य प्रकृति ११९ प्रकृति हैं। गुणस्थान
४८