Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-३५२
मिथ्यात्व
बद्धायुष्क की १ न.ति.
अपेक्षा १ न.म. द्वितीय स्थान | १ ति.म.
१ ति.दे. सोमदेनु
| १४५ (१४८-३, भुज्यमान व बध्यमान
आयुबिना दोआयु एवं तीर्थकर) इस स्थान में १२ भंग सम्भव हैं, क्योंकि मनुष्य व तिर्यञ्चगति में चारों ही आयु का बन्ध हो
कारण है। विगत व देवगति में जीवों के तिर्यञ्च व मनुष्यगति का ही बन्ध हो सकता
है।
बध्यमान
भंग
भुज्यमान आयु
आयु
संख्या
नरक
तिर्यञ्च
भरक
मनुष्य
नरक
तिर्यञ्च तिर्यञ्च तिर्यञ्च
तिर्वञ्च
मनुष्य
तिर्यच
देव
नरक
मनुष्य मनुष्य
तिर्यञ्च
मनुष्य
तिर्यञ्च
मनुष्य
उपयुक्त सन्दृष्टि में १२ भंगों में पुनरुक्त भंग | में तथा जहाँ भुज्यमान व बध्यमान आयु समान
ही है उस भंग के आगे शून्य दिया है अतः १२ | में से यहाँ ५ ही भर गिने हैं।