Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-३५४
मिथ्यात्व
अबद्धायुष्क की अपेक्षा तृतीय स्थान
| १४१ (१४८-७, भुज्यमानआयुविना शेष
३ आयु और आहारकचतुष्क)
तीर्थक्कर प्रकृति की सन्नासहित २-३ नरक | में उत्पन्न होने वाले मिथ्यादृष्टिजीव के निवृत्त्यपर्याप्तावस्था में १४१ प्रकृति की सत्ता रहेगी, क्योंकि इस अवस्था में वध्यमानआयु की सत्ता नहीं रहती है तथा नरकायु के अन्तिम छह माह पूर्व तक १४१ प्रकृति का सत्त्व रहता है, क्यों कि नरकायु के अन्तिम छह माह में आयु बन्ध होता है।
मिथ्यात्व
१४७१११४४- भुज्यमान-बध्यमानआयु
बिना दो आयु, तीर्थक्कर और आहारकचतुष्क)
बद्धायुकदी १ नति:
अपेक्षा | १ न.म. चतुर्थ स्थान | १ ति.म.
१ ति.दे.
बद्धायुष्क की अपेक्षा पूर्वकथित दूसरे स्थान में चारों गति में जीवों के १२ भङ्गों में से २ पुनरुक्तं और ५ समान भङ्गों को कम करके शेष जो पाँच भङ्ग कहे हैं। वे हो यहाँ भी जानना, किन्तु वहाँ और यहाँ अन्तर इतना ही है कि उस स्थान में आहारकचतुष्क का सत्त्व है और यहाँ नहीं है।
मिथ्यात्व
१४०
अबद्धायुष्क की अपेक्षा चतुर्थ स्थान
१४० (१४८-८, भुज्यमानआयुमिना शेष
३ आयु, तीर्थकर और आहारकचतुष्क)
१ ति.
बद्धायुष्क की अपेक्षा चतुर्थसत्त्व स्थान में ४ गति के जीवों की बध्यमान आयुको छोड़कर केवल भुज्यमानआयु की अपेक्षा ४ भन्न हैं।