Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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मिथ्यात्व
मिथ्यात्व
मिध्यात्व
मिध्यात्व
62
श्रद्धायुष्क की १ न. ति.
अपेक्षा
पञ्चम स्थान
अबद्धायुष्क की अपेक्षा
पञ्चम स्थान
बद्धायुष्क की
अपेक्षा
षष्ठ स्थान
अबद्धायुष्क की अपेक्षा
षष्ठ स्थान
गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ३५५
१ न. म.
९ ति. म.
१ लि. दे.
५ म. दे.
५
१ न.
१ ति.
१ म.
१. दे.
ل
१ न. ति.
१ न. म.
१ ति. म.
१ ति. दे.
१ म. दे.
५
१. न. १ ति.
१ म.
१. दे.
४
१४०
१३९
१३९
१३८
१४० (१४८-८, भुज्यमान- बध्यमान आय बिना दो आयु, तीर्थकर आहारक-चतुष्क और सम्यक्त्वप्रकृति)
बद्धायुष्ककी अपेक्षा पूर्वोक्तस्थानों के समान ही यहाँ पर भी ५ भन हैं, किन्तु अन्तर इतना ही है कि यहाँ सम्यक्त्वप्रकृति भी कम हुई है।
( १४८ - ९. भुज्यमान आयुबिना शेष ३ आयु, तीर्थङ्कर, आहारक चतुष्क और
सम्यक्त्वप्रकृति )
अबद्धायुष्ककी अपेक्षा चतुर्थस्थान के समान ही यहाँ भी ४ भन्न जानना, किन्तु यहाँ पर सम्यक्त्वप्रकृति भी कम हुई है।
१३९ (१४८- ९, भुज्यमान- बध्यमान आयुबिना दो आयु, तीर्थकर, आहारक
चतुष्क, सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व - प्रकृति )
बद्धायुष्क
की अपेक्षा पञ्चमस्थानके समान यहाँ पर भी ५ ही भन हैं, किन्तु यहाँ सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृति कम हुई है।
बद्धायुष्क की अपेक्षा छठे सत्त्वस्थान में कही गई १३९ प्रकृतियों में से बध्यमान आयु कम करने पर यहाँ १३८ प्रकृति की सत्ता पाई। जाती है तथा अबद्धायुष्क की अपेक्षा पूर्वोक्त ५ वें स्थान के समान ही यहाँ भी ४ भङ्ग जानना ।