Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-३६५
मिश्न
अबद्धायुष्क की अपेक्षा तृतीय स्थान
१ न. । १ ति. १. म.
१४० | बद्धायुष्क के तृतीयस्थान में जो १४१
प्रकृतियाँ कही गई हैं उनमें से बध्यमान आयु | कम करने पर १४० प्रकृति रहती हैं। चारों गति की अपेक्षा से ४ भंग होते हैं।
मिश्र
...
बद्धायुष्क | १ न. ति. की. अमेशा .. मा चतुर्थ स्थान | १ ति.
Eain
१३७ १३७ (१४८-११, भुज्यमान-बध्यमान ..... ... .. आयु-बिना दो आयु, तीर्थङ्कर,
अनन्तानुबन्धी-कषायचतुष्क,
आहारकचतुष्क) बद्धायुष्क की अपेक्षा द्वितीयस्थान में जो जीव बताया है वैसा ही जीव यहाँ भी समझना, किन्तु आहारकचतुष्क यहाँ नहीं पाया जाता | है। भंग यहाँ भी १२ ही हैं, किन्तु पुनरुक्त और | समभंग बिना ५ ही भंग ग्रहण किये गये हैं।
मिश्र
मिश्र
१३६
| अवद्धायुष्क | १ न.
की अपेक्षा | १ ति. चतुर्थ स्थान
| १३६ (बद्धायुष्क की अपेक्षा चतुर्थस्थान
में कथित १३७ प्रकृति में से बध्यमान आयु कम करने पर १३६ प्रकृति रहती हैं। चारगति की अपेक्षा ४ भंग होते हैं।
आगे असंयतगुणस्थान में ४० स्थानों की सिद्धि करते हुए उन स्थानों के १२० भङ्ग व प्रकृतियों की संख्या आदि का कथन ६ गाथाओं से कहते हैं -
दुग छक्क सत्त अटुं, णवरहियं तह य चउपडिं किच्चा। णभमिगि चउ पण हीणं, बद्धस्सियरस्स एगूणं ।।३७६ ॥ तित्थाहारे सहियं, तित्थूणं अह य हारचउहीणं । तित्थाहारचउक्केणूणं इति चउपडिट्ठाणं ॥३७७ ।।