Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
गाम्मटसार कर्मकाण्ड-३४०
१३८ । १० (नरक-तिर्यञ्च-देवायु, दर्शनमोहनीय ३,
अनन्तानुबन्धी ४)
२
| अपूर्वकरणगुणस्थानवत्
१३८
४. क्षपक श्रेणी
की अपेक्षा अनिवृत्तिकरण १. सामान्य से उपशम |
श्रेणी की अपेक्षा २. उपर्युक्त ८वें गुण
स्थानवत् ३. उपर्युक्त ८वे गुण
स्थानबत् ४. उपर्युक्त ८ये गुण
स्थानवत् सूक्ष्मसांपराय १. उपर्युक्त ८वें गुण
स्थानवत् २. उपर्युक्त ८वें गुण
स्थानवत् ३. उपर्युक्त ८वें गुण
स्थानवत् ४. उपर्युक्त ८वें गुण- |
स्थानवत्
१४६
१४२
यस्थानवत्
१४६ १४२
अपूर्वकरणगुणस्थानवत्
उपशान्तकषाय १. ८वें गुणस्थानवत २. ८वें गुणस्थानवत् ३. ८वें गुणस्थानवत् क्षीणमोह सयोगकेवली अयोगकवली १. द्विधरमसमपर्यन्त २. परमसमय में