Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२८४ केवलज्ञान में उदयव्युच्छित्ति-उदय-अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टि
..उदययोग्य प्रकृति ४२, गुणास्थान २.४ | उदय- । गुणस्थान व्युच्छित्ति | उदय | अनुदय ।
विशेष सयोगकेवली| ३०
गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार अयोगकेवली १२ । १२ ।
गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार || इति ज्ञानमार्गणा ॥
अथ संयममार्गणा संयममार्गणा में सामायिक-छेदोपस्थापनासंयम में उदययोग्य प्रकृति ८१, गुणस्थान प्रमत्तादि ४ हैं। यहाँ प्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, उदयप्रकृति ८१, अनुदय नहीं है। अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ४, उदयप्रकृति ७६, अनुदयप्रकृति ५। अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६, उदयप्रकृति ७२, अनुदयप्रकृति ९। अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६, उदयप्रकृति ६६, अनुदयप्रकृति १५ हैं। सामायिक छेदोपस्थापनासंयम में उदयव्युच्छित्ति-उदय-अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टि--
उदययोग्यप्रकृति ८१, गुणस्थान ४
उदय
गुणस्थान
प्रमत्त
उदय अनुदय
विशेष
| ५ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) अप्रमत्त
४ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) अपूर्वकरण
६ (गाधा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) अनिवृत्तिकरण
१५ ६ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) __ परिहारविशुद्धिसंयम में संदित्थी हारदुगंण के अनुसार नपुंसक-स्त्रीवेद और आहारकद्विक इन चार के बिना उदययोग्य प्रकृति ७७ और गुणस्थान दो हैं। यहाँ प्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति स्त्यानगृद्धित्रिक, उदयप्रकृति ७७, अनुदय नहीं है। अप्रमत्त में व्युच्छिन्नप्रकृति ४, उदयप्रकृति ७४ और अनुदयप्रकृति ३ हैं।