Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२८३
मनःपर्ययज्ञान में नपुंसकवेद व स्त्रीवेद और आहारकद्विक उदययोग्य नहीं है अतः सामान्य से गुणस्थानोक्त प्रमत्तगुणस्थानसम्बन्धी ८१ प्रकृतियों में , इन चार शो का काने अहाँ उल्या वेग :: प्रकृति ७७ हैं और गुणस्थान प्रमत्त से क्षीणकषायपर्यन्त सात हैं। यहाँ प्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छित्ति स्त्यानगृद्धि आदि तीननिद्रा, उदययोग्य प्रकृति ७७, अनुदय का अभाव है। अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छित्रप्रकृति ४, उदययोग्यप्रकृति ७४, अनुदयप्रकृति ३। अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति हास्यादि ६ नोकषाय, उदयप्रकृति ७०, अनुदयप्रकृति ७। अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति पुरुषवेद तथा सज्वलनक्रोध मान-माया, उदयप्रकृति ६४, अनुदयप्रकृति १३ । सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १ सञ्ज्वलनलोभ, उदयप्रकृति ६०, अनुदयप्रकृति १७1 उपशान्तमोह में व्युच्छिन्नप्रकृति, वज्रनाराच और नाराचसंहनन, उदयप्रकृति ५९ और अनुदयप्रकृति १८ । क्षीणकषायगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति गुणस्थानोक्त १६, उदयप्रकृति ५७ तथा अनुदयप्रकृति २०
मनःपर्ययज्ञान में उदयव्युच्छित्ति-उदय और अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टि
उदययोग्यप्रकृति ७७, गुणस्थान ७
उदय
व्युच्छित्ति
गुणस्थान प्रमत्त
७४
अनुदय
विशेष ३ (स्त्यानगृद्धिआदि तीननिद्रा) ४ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) ६ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) ४ (पुरुषवेद, सज्वलनक्रोध-मान-माया) १ (सज्वलनलोभ)
२ (बज्रनाराच व नाराचसंहनन) २० । १६ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार)
अप्रमत्त अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण सूक्ष्मसाम्पराय उपशान्तकषाय क्षीणकषाय
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केवलज्ञान में उदययोग्य प्रकृति ४२. गुणस्थान सयोग और अयोगकेवली ये २१ सयोगकेवली गुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ३०, उदयप्रकृति ४२, अमुदय नहीं है। अयोगकेवली के व्युच्छिन्नप्रकृति १२, उदयप्रकृति १२ और अनुदयप्रकृति ३० हैं।