Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२७०
अब वैक्रियकमिश्रकाययोग, आहारककाययोग और आहारकमिश्रकाययोग में उदयादि का कथन ३ गाथाओं से करते हैं
वेगुव्वं वा मिस्से, ण मिस्स परघादसरविहायदुगं। सम्मो का हुंडरदं, दुकामाला अजह ॥३१५|| णिरयगदिआउणीचं, ते खित्तयदेऽवणिज्ज थीवेदं । छट्टगुणं वाहारे, ण थीणतियसंढथीवेदं ॥३१६॥ दुग्गदिदुस्सरसंहदि, ओरालदु चरिमपंचसंठाणं ।
ते तम्मिस्से सुस्सर, परघाददुसत्थगदि हीणा ॥३१७॥विसेसयं॥ अर्थ - वैक्रियिककाययोग में उदययोग्य ८६ प्रकृतियों में से मिश्रमोहनीय (सम्यग्मिथ्यात्व) परघात, उच्छ्वास, स्वरद्विक, प्रशस्त व अप्रशस्तविहायोगति इन प्रकृतियों को कम करने से
वैक्रियिकमिश्रकाययोग में उदययोग्य ७९ प्रकृतियाँ हैं। उसमें भी यहाँ सासादनगुणस्थान में हुण्डकसंस्थान, नपुंसकवेद, दुर्भग, अनादेय, अयशस्कीर्ति, नरकगति, नरकायु, नीचगोत्र का उदय नहीं है, क्योंकि सासादनगुणस्थान वाला जीव मरकर नरक में नहीं जाता है।) किन्तु असंयतगुणस्थान में इनका उदय रहता है। सासादन में स्त्रीवेद और अन०४ इन पाँच की व्युच्छित्ति होती है। (वैक्रियिक मिश्र के असंयत गुणस्थान में स्त्रीवेदी नहीं होते हैं।)
__ आहारककाययोग में सामान्य से छठे गुणस्थान में उदययोग्य ८५ प्रकृतियों में से स्त्यानगृद्धिआदि तीन निद्रा, नपुंसकवेद और वीवेद, अप्रशस्तविहायोगति, दुःस्वर, ६ संहनन, औदारिकशरीर, औदारिकअङ्गोपाङ्ग, समचतुरस्रबिना शेष पाँचसंस्थान, इन २० प्रकृतिबिना ६१ प्रकृति उदययोग्य हैं। आहारकमिश्रकाययोग में उपुर्यक्त ६१ प्रकृतियों में से सुस्वर, परधात, उच्छ्वास और प्रशस्तविहायोगति कम करने से ५७ प्रकृतियाँ उदययोग्य हैं। आहारककाययोग और आहारकमिश्रकाययोग में १ प्रमत्त गुणस्थान ही है।
विशेषार्थ - वैक्रियकमिश्रकाययोगसम्बन्धी मिथ्यात्वगुणस्थान में एक मिथ्यात्व प्रकृति की व्युच्छित्ति, उदयप्रकृति ७८, अनुदवप्रकृति १ (सम्यक्त्व) । सासादनगुणस्थान में स्त्रीवेद और अनन्तानुबन्धी चार कषाय की व्युच्छित्ति, उदय ७७ प्रकृति का और अनुदयप्रकृति १० । असंयतगुणस्थान में अप्रत्याख्यान की चार कषाय, वैक्रियिकशरीर, वैक्रिविकअङ्गोपाङ्ग, देव-नरकगति, देव-नरकायु, दुर्भगादितीन इस प्रकार इन १३ प्रकृति की व्युच्छित्ति, सम्यक्त्व, हुण्डकसंस्थानादिक आठ इन ९ का उदय पाया जाने से उदयप्रकृति ७३ और अनुदय ६ प्रकृति का है।