Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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उदय
गुणस्थान | व्युच्छित्ति मिथ्यात्व
११
सासादन
गोम्मटसार कर्मकाण्ड - २५७
एकेन्द्रिय में उदयव्युच्छित्ति - उदग्र- अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टिउदययोग्य प्रकृति ८०, गुणस्थान २
६
उदय
गुणस्थान व्युच्छित्ति
मिध्यात्व
१०
सासादन
उदय
८०
६९
५
अनुदय
द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रियसम्बन्धी मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छित्ति मिथ्यात्व, अपर्याप्त स्त्यानगृद्धिआदि तीननिद्रा, परघात, उच्छ्वास, उद्योत, अप्रशस्तविहायोगति और दुःस्त्रर इन १० की, उदय ८१ का, अनुदय का अभाव है। सासादनगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति अनन्तानुबन्धीरूप चारकषाय तथा द्वीन्द्रियादि अपनी-अपनी जाति इस प्रकार ५ हैं, उदयप्रकृति ७१ और अनुदयप्रकृति १० हैं ।
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द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रियसम्बन्धी उदयव्युच्छित्ति उदय- अनुदय की सन्दृष्टिउदयोग्यप्रकृति ८१, गुणस्थान २
११
उदय
८१
विशेष
१० {मिथ्यात्व, अपर्याप्त, स्त्यानगृद्धिआदि तीन निद्रा, परघात, उच्छवास, उद्योत, दुःस्वर, अप्रशस्तविहायोगति)
७१
५ (अनन्तानुबन्धीकषाय ४ और स्व-स्वजाति)
पञ्चेन्द्रिय के मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छित्ति मिध्यात्व और अपर्याप्त की, उदयप्रकृति १०९, अनुदय गुणस्थानोक्त ५ प्रकृति का । सासादनगुणस्थान में अनन्तानुबन्धी चारकषाय की व्युच्छित्ति, उदय १०६ प्रकृति का, नरकगत्यानुपूर्वी का उदय नहीं होने से अनुदय ८ प्रकृति का । मिश्रगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति गुणस्थानोक्त१, उदयप्रकृति १००, अनुदयप्रकृति १४ । असंयतगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १७, उदयप्रकृति १०४, अनुदयप्रकृति १० देशसंयतगुणस्थान में व्युच्छित्रप्रकृति ८, उदयप्रकृति ८७, अनुदप्रकृति २७ । प्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, उदयप्रकृति ८१. अनुदयप्रकृति ३३१ अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ४, उदयप्रकृति ७६, अनुदयप्रकृति ३८ । अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६, उदयप्रकृति ७२, अनुदयप्रकृति ४२ । अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छित्ति ६ प्रकृति की, उदय ६६ प्रकृति का, अनुदय ४८ प्रकृति का सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में व्युच्छित्ति १ की, उदय
विशेष
११ ( मिथ्यात्व, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, स्त्यानगृद्धिआदि तीन निद्रा, परघात, उद्योत, आतप, उच्छवास)
६ ( अनन्तानुबन्धीकषाय ४, एकेन्द्रिय, स्थावर )
अनुदय
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१०