Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
गोम्मटसार कर्मकाण्ड - २६१
कि यहाँ पर गुणस्थानोक्त उदययोग्य १२२ प्रकृति में से स्थावर, सूक्ष्म, साधारण, एकेन्द्रिय और आतपप्रकृति घटाने से उदययोग्य ११७ प्रकृतियाँ हैं ।
विशेषार्थ - सकाय में उदययोग्य ११७ प्रकृतियाँ, गुणस्थान १४ हैं । यहाँ मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति मिथ्यात्व और अपर्याप्त, उदयप्रकृति ११२, अनुदयप्रकृति ५ । सासादनगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति अनन्तानुबन्धीचारकषाय और विकलत्रयकी तीन, उदयप्रकृति १०९, नरकगत्यानुपूर्वी का उदयाभाव होनेसे अनुदयप्रकृति ८ । मिश्रगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूपप्रकृति १, उदयप्रकृति १००, अनुदयप्रकृति १७ । असंयत गुणस्थानमें व्युच्छिन्नप्रकृति १७, उदयप्रकृति १०४, अनुदयप्रकृति १३ । देशसंयतगुणस्थान में व्युच्छित्ति ८ प्रकृति की, उदय ८७ प्रकृति का, अनुदय ३० प्रकृति का । प्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छित्ति ५ प्रकृति की, उदय ८१ प्रकृति का तथा अनुदय ३६ प्रकृति का है। अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छित्ति ४ प्रकृति की, उदय ७६ प्रकृति का, अनुदय ४१ प्रकृति का । अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६, उदयप्रकृति ७ प्रकृमिनिवृतिस्थान में चुच्छित्ति ६ प्रकृति की, उदय ६६ प्रकृति का, अनुदय ५१ प्रकृति का है। सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में व्युच्छित्ति १ प्रकृति की, उदय ६० प्रकृति का और अनदय ५७ प्रकृति का । उपशान्तमोहगुणस्थान में व्युच्छित्ति २ प्रकृति की, उदय ५९ प्रकृति का, अनुदय ५८ प्रकृति का है। क्षीणमोहगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १६, उदयप्रकृति ५७, अनुदयप्रकृति ६० । सयोगकेवलीगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ३०, उदयप्रकृति ४२ तथा अनुदयप्रकृति ७५ । अयोगकेवलीगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति १२, उदयरूपप्रकृति १२ तथा अनुदयप्रकृति १०५ हैं ।
उदय
गुणस्थान व्युच्छित्ति
मिथ्यात्व
२
सासादन
मिश्र
त्रसकायिकजीवों में उदयव्युच्छित्ति- - उदय - अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टिउदयोग्यप्रकृति १९७, गुणस्थान १४
असंयत
देशसंयत
७
१
१७
८
उदय
११२
१०१
१००
१०४
८७
अनुदय
८
१७
१३
३०
विशेष
५ ( गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार ) २ (मिध्यात्व, अपर्याप्त )
८ (५+२+१ नरकगत्यानुपूर्वी)
७ (अनन्तानुबन्धी ४+ विकलत्रय ३ ) १७(८+७+ नरकगत्यानुपूर्वीबिना शेष ३ गत्यानुपूर्वी १ सम्यग्मिथ्यात्व ) १३ (१७+ १ ४ गत्यानुपूर्वी और सम्यक्त्व ) १७ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार ) ८ ( गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार )