Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - २४७
देसे तदियकसाया, णीचं एमेव मणुससामण्णे । पज्जत्तेवि य इत्थीवेदापज्जत्तिपरिहीणो ॥ ३०० ॥
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अर्थ मिथ्यात्वगुणस्थान में मिथ्यात्व और अपर्याप्त की, सासादनगुणस्थान में अनन्तानुबन्धीकषाय ४, मिश्रगुणस्थान में सम्यग्मिध्यात्वकी, असंयतगुणस्थान में अप्रत्याख्यानकषाय ४, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, दुर्भग, अनादेय, अयशकीर्ति इन आठ प्रकृति की और देशसंयत गुणस्थान में प्रत्याख्यान की ४ कषाय और नीच गोत्र की उदयव्युच्छित्ति होती है। इसके आगे प्रमत्त से अयोगीगुणस्थानपर्यन्त गुणस्थानोक्त क्रम से उदयव्युच्छित्ति जानना । पर्याप्त मनुष्य में, सामान्यमनुष्य की १०२ प्रकृतियों में से स्त्रीवेद और अपर्याप्त प्रकृति कम करने पर १०० प्रकृति उदययोग्य हैं ।
विशेषार्थ - सामान्य मनुष्य के मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति २, उदयप्रकृति ९७ एवं अनुदयप्रकृति सम्यग्मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, आहारकद्विक और तीर्थकर ये ५ हैं। सासादनगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ४, उदयरूपप्रकृति ९५, अनुदयरूप प्रकृति ७ हैं। मिश्रगुणस्थान में व्युच्छित्ति १ प्रकृति की, उदय ९१ प्रकृति का और मनुष्यगत्यानुपूर्वी का उदयाभाव तथा सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृति के उदय होने से यहाँ अनुदय ११ प्रकृति का है। असंयतगुणस्थान में व्युच्छित्ति ८ प्रकृति की, उदय ९२ प्रकृति का तथा सम्यक्त्व और मनुष्यगत्यानुपूर्वी का उदय होने से अनुदय १० प्रकृति का है। देशसंयत गुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, उदयप्रकृति ८४, अनुदयप्रकृति १८ । प्रमत्त गुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, उदयप्रकृति ८१ और आहारकद्विकके मिलने से अनुदयप्रकृति २१ हैं । अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ४, उदयरूप प्रकृति ७६ और अनुदयरूप प्रकृति २६ हैं । अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छित्ति ६ प्रकृतिकी, उदय ७२ प्रकृति का, अनुदय ३० प्रकृति का है। अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छित्ति ६ प्रकृतिकी, उदय ६६ प्रकृतिका, अनुदय ३६ प्रकृति का सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में व्युच्छित्ति १ प्रकृति की, उदय ६० प्रकृति का तथा अनुदय ४२ प्रकृति का है। उपशान्तकषायगुणस्थान में व्युच्छिन्न प्रकृति २, उदयप्रकृति ५९, अनुदयप्रकृति ४३ । क्षीणकषायगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १६, उदय प्रकृति ५७ एवं अनुदयप्रकृति ४५ । सयोगकेवलीगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ३०, तीर्थङ्करसहित उदययोग्यप्रकृति ४२ एवं अनुदयप्रकृति ६० हैं ।
अयोगकेवलीगुणस्थान में व्युच्छित्ति १२ प्रकृति की, उदय १२ प्रकृति का और अनुदय ९० प्रकृति का जानना चाहिए ।