Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२५२ चार (दुर्भग,दुःस्वर,अनादेय,अयशस्कीर्ति) नीचगोत्र नपुंसकवेद स्त्यानगुद्धिआदि तीन निद्रा. अप्रशस्तविहायोगति,तीर्थकर, अपर्याप्त वज्रनाराचादि अन्तिम ५ संहनन, न्यग्रोधपरिमण्डलादि ५ संस्थान
और आहारकद्रिक इन २४ प्रकृति के बिना शेष ७८ प्रकृतियाँ उदययोग्य हैं। तथैव भोगभूमिजमनुष्यसम्बन्धी ७८ प्रकृतियों में मनुष्यगति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, मनुष्यायु और उच्चगोत्र कम करके नीचगोत्र, तिर्यञ्चगति तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी, तिर्यञ्चायु और उद्योतप्रकृति मिलाने पर ७९ प्रकृतियाँ भोगभूमिज तिर्यञ्चके उदययोग्य जानना।
विशेषार्थ - भोगभूमिज मनुष्य के मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छित्रप्रकृति १ मिथ्यात्व, उदयप्रकृति ७६, अनुदयप्रकृति २ सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति का। सासादनगुणस्थान में व्युच्छित्ति अनन्तानुबन्धीकषाय ४, उदयप्रकृति ७५, अनुदयप्रकृति ३। मिश्रगुणस्थान में व्युच्छित्ति १ मिश्रमोहनीयकी, उदय ७१ प्रकृति का तथा सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृति का उदय होने और आनुपूर्वीका उदय नहीं होने से अनुदय ७ प्रकृति का। असंयतगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति अप्रत्याख्यानकषाय चार एवं मनुष्यगत्यानुपूर्वी, उदयप्रकृति ७२, अनुदय प्रकृति ६, क्योंकि यहाँ सम्यक्त्वप्रकृति और मनुष्यगत्यानुपूर्वी का उदय पाया जाता है। भोगभूमिजमनुष्यसम्बन्धी उदयव्युच्छित्ति-उदय-अनुदयसम्बन्धी सन्दृष्टि
उदययोग्यप्रकृति ७८, गुणस्थान ४ उदयगुणस्थान | व्युच्छित्ति उदय अनुदय
विशेष २ (गाथा ३०१ की सन्दृष्टि अनुसार) १ (गाथा ३०१ की सन्दृष्टि अनुसार)
४ (अनन्तानुबन्धीकषाय) मिश्र
७ (४+३+१ मनुष्यगत्यानुपूर्वी-१ सम्यग्मिथ्यात्व) असंयत
६ (७+१-२ सम्यक्त्व, मनुष्यगत्यानुपूर्वी) ५ (अप्रत्याख्यानकषाय ४, मनुष्यगत्यानुपूर्वी)
मिथ्यात्व
२
सासादन
इसी प्रकार भोगभूमिजतिर्यञ्चसम्बन्धी मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति १ मिथ्यात्व, उदयप्रकृति ७७, अनुदयरूप सम्यग्मिथ्यात्व और सम्यक्त्वप्रकृति ये २ हैं। सासादनगुणस्थान में व्युच्छित्ति अनन्तानुबन्धी की चारकषाय,उदयप्रकृति ७६, अनुदयप्रकृति ३। मिश्रगुणस्थान में व्युच्छित्ति एक सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृति की, सम्यग्मिथ्यात्वसहित उदय ७२ प्रकृति का, आनुपूर्वी के उदय का अभाव होने से अनुदयप्रकृति ७ हैं। असंयतगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति अप्रत्याख्यानकषाय ४ और