Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२४९
इसी प्रकार सामान्य मनुष्य में उदययोग्य १०२ प्रकृति में से सोवेद और अपर्याप्त प्रकृति कम करनेपर पर्याप्तमनुष्य के उदययोग्य १०० प्रकृति हैं। यहाँ मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १ मिथ्यात्व, उदयप्रकृति ९५,अनुदयप्रकृति सम्यग्मिथ्यात्वादि ५। सासादनगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ४, उदयप्रकृति ९४, अनुदयप्रकृति ६ । मिश्रगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १, उदयप्रकृति ९०, अनुदयप्रकृति १०। असंयतगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ८, उदयप्रकृति ९१, सम्यक्त्व और मनुष्यगत्यानुपूर्वी का उदय होने से अनुदयप्रकृति ९ । देशसंयतगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, उदयप्रकृति ८३,अनुदयप्रकृति १७ । प्रमत्तसंयतगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, उदयप्रकृति ८०, अनुदयप्रकृति २० । अप्रमत्तगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ४, उदयप्रकृति ७५ और अनुदप्रकृति २५ हैं। अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ६,उदयप्रकृति ७१, अनुदय२९ प्रकृति का । अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ५. उदयप्रकृति ६५ तथा अनुदयप्रकृति ३५ । सूक्ष्मसाम्परायगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति १, उदयरूप प्रकृति ६० तथा अनुदयरूप प्रकृति ४० हैं। उपशान्तमोहगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति २, उदयप्रकृति ५९ और अनुदयप्रकृति ४१ । क्षीणमोहगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १६, उदयप्रकृति ५७, अनुदयप्रकृति ४३ । सयोगकेवलीगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ३०, उदयरूप प्रकृति ४२, अनुदयप्रकृति ५८ । अयोगकेवलीगुणस्थान में व्युच्छित्ति १२ प्रकृति की, उदय १२ प्रकृति का तथा अनुदय ८८ प्रकृति का पाया जाता है। पर्याप्तमनुष्यसम्बन्धी उदयव्युच्छित्ति-उदय और अनुदय की सन्दृष्टि
उदययोग्य प्रकृति १००, गुणस्थान १४ ।।
उदय
उदय
अनुदय
गुणस्थान मिथ्यात्व
सासादन मिश्र असंयत
विशेष ५ (सम्यग्मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, आहारकद्विक,
तीर्थकर) ४ (अनन्तानुबन्धी) १०(६+४+१ मनुष्यगत्यानुपूर्वी-१ सम्यग्मिथ्यात्व) ९ (१०+१-२ मनुष्यगत्यानुपूर्वी और सम्यक्त्व) ८ (पूर्वसन्दृष्टि के अनुसार) ५ (पूर्वसन्दृष्टि के अनुसार) २० (१७+५-२ आहारकद्विक) ५ (पूर्व-सन्दृष्टि
अनुसार) ४ (पूर्वसन्दृष्टि में कही हुई) ६ (पूर्वसन्दृष्टि में कही हुई)
देशसंयत प्रमत्तसंयत
अप्रमत्त अपूर्वकरण