Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२४८
सामान्य मनुष्यसम्बन्धी उदयज्युच्छित्ति-उदय-अनुदय की सन्दृष्टि
उदययोग्य प्रकृति १०२, गुणस्थान १४ गुणस्थान | उदय- | उदय । अनुदय
विशेष व्युच्छित्ति मिथ्यात्व
५ (सम्यग्मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, आहारकतिक, __ तीर्थंकर)
२ (मिथ्यात्व, अपर्याप्त) सासादन
४ (अनन्तानुबन्धीकषाय) मिश्र
११(७+४+१ मनुष्यगत्यानुपूर्वी-१ सम्यग्मिथ्यात्व)
१ (सम्यग्मिथ्यात्व) असंयत
१० (११+१-२, मनुष्यगत्यानुपूर्वी व सम्यक्त्व) ८ (अप्रत्याख्यानकषाय ४, दुर्भग, अनादेय,
अयशस्कीर्ति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी) देशसंयत
१८ - ५ (प्रत्याख्यानकषाय ४ और नीचगोत्र) प्रमत्तसंयत
२१ (१८+५-२ आहारकद्विक)
५ (स्त्यानगृद्धिआदि तीन निद्रा और आहारकदिक) अप्रमत्तसंयत
४ (अर्धनाराच, कीलक, सुपाटिकासंहनन,
सम्यक्त्व) अपूर्वकरण । ६
६ (हास्यादि नोकषाय) अनिवृत्तिकरण ६
६ (स्त्री-पुरुष व नपुंसकवेद, सज्वलनक्रोध
मान माया) सूक्ष्मसाम्पराय
१ (सूक्ष्मलोभ) उपशान्तमोह
२ (क्ज्रनाराच व नाराचसंहनन) क्षीणमोह
१६ (निद्रा, प्रचला, ५ ज्ञानावरण, ४ दर्शनावरण,
५ अन्तराय) सयोगकेवली
६० (४५+१६-१ तीर्थंकर)
३० (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार) अयोगकेवली
| १२ (गाथा २६४ की सन्दृष्टि अनुसार)