Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - २४४
उदय ९७ प्रकृति का और अनुदय सम्यग्मिथ्यात्व एवं सम्यक्त्वप्रकृति का है। सासादनगुणस्थान में व्युच्छित्ति अनन्तानुबन्धीकषाय ४, उदयप्रकृति ९५ और अनुदय प्रकृति ४ हैं। मिश्रगुणस्थान में व्युच्छित्ति सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृति १, उदयप्रकृति ९१, अनुदय प्रकृति ८ । असंयतगुणस्थान में व्युच्छित्ति पूर्वोक्त ८ प्रकृति की, उदय ९२ प्रकृति का और अनुदय तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी व सम्यक्त्वबिना ७ प्रकृति का। देशसंयतगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ८, उदयप्रकृति ८४ और अनुदयप्रकृति १५ |
सासादन
मिश्र
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पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चसामान्यसम्बन्धी उदयव्युच्छित्ति उदय अनुदय की सन्दृष्टि उदययोग्यप्रकृति ९९, गुणस्थान ५
गुणस्थान मिथ्यात्व २
असंयत
उदय
व्युच्छित्ति
देशसंयत
४
१
८
८
उदय अनुदय
९७
२
९५
९१
९२
८४
×
८
७
१५
विशेष
अनु. २ ( सम्यग्मिथ्यात्व, सम्यक्त्वं ) व्यु. २ ( मिथ्यात्व, अपर्याप्त)
४ ( अनन्तानुबन्धीकषाय )
८ (४+४-१ सम्यग्मिथ्यात्व + तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी)
७ (८+१ २ सम्यक्त्व, तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी) ८ ( पूर्वसन्दृष्टि अनुसार )
पूर्ववत्
पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चसामान्य की उदय योग्य प्रकृतियों में से स्त्रीवेद और अपर्याप्त के बिना (योनिनी और अपर्याप्त जीवों की प्ररूपणा अलग से की गई है। इसलिए यहाँ इन दो प्रकृतियों को कम करके पुरुषवेद की अपेक्षा की है ।) पर्याप्तपञ्चेन्द्रियतिर्यञ्च के उदययोग्य ९७ प्रकृतियाँ हैं। यहाँ मिथ्यात्वगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति १ ( मिथ्यात्व ), उदयप्रकृति ९५, अनुदयप्रकृति २ ( सम्यग्मिथ्यात्त्व, सम्यक्त्व ) । सासादनगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ४ ( अनन्तानुबन्धीकषाय), उदयप्रकृति ९४, अनुदयप्रकृति ३ । मिश्रगुणस्थान में व्युच्छित्तिरूप सम्यग्मिथ्यात्वप्रकृति, अनुदयप्रकृति ७, उदयप्रकृति ९० / असंयत में व्युच्छित्ति ८, उदय ९१ का और अनुदय ६ का । देशसंयत में व्युच्छित्ति आठ की, उदय ८३ का एवं अनुदय १४ का है।