Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसारकर्मकाण्ड-१५१
माना कि एक सम्पाकड़ की सास :१६० है और आवलीके असाल्यातवेंभाग की संख्या ९ कल्पना की अर्थात् ८१००२९ = ९०० इस संख्या को पृथक् रखकर शेष जो ७२०० बचे। इनके आठोकर्मों में समानभाग करके प्रत्येकको ९०० प्राप्त होंगे। जो ९०० पृथक् रखे थे उनमें ९ का भाग देने पर १०० प्राप्त हुए, इसको पृथक् रखकर बहुभाग ८०० रहा इसको वेदनीयकर्म को देना अर्थात् वेदनीयकर्मको ९००+८०० - १७०० परमाणु मिलेंगे। जो १०० पृथक् रखे थे उसमें पुनः ९ का भाग देने से भागाकार आया इसको पृथक् रखकर १०० में घटाने पर १००-१०० -०० यह बहुभाग रहा सो इसको मोहनीयकर्म के द्रव्य में मिलाया८००+९०० = ९८८१ प्राप्त हुआ इतना द्रव्य मोहनीयकर्म को मिला।
पृथक् रखी हुई भागाकार की संख्या १०० को ९ से भाग देने पर भागाकार १. आवेगा। इसको पृथक् रख -२०में ले घटाने पर १०० - ८८१ प्राप्त हुआ। इसके तीन समान भाग करके ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तरायकर्म को एक-एक भाग बाँटना इस प्रकार प्रत्येक को ६४ प्रमाणद्रव्य मिलेगा तथा सर्वप्रथम प्रत्येक कर्मको जो समानद्रव्य ९०० मिला था उसमें
९२९ मिलाने पर प्रत्येक को ९००९४३ = ९०३ ७१ द्रव्य मिला। पृथक् रखे हुए 38 को ९ से भाग देने पर भागाकारट में से घटाने पर बहुभागरूपद्रव्य (१०० -१९९) १२ प्राप्त हुआ सो इतना द्रव्य नाम व गोत्रकर्म के हिस्से में आया इसमें २ का भाग देने से ८०० २ - ९० प्रमाण द्रव्य नामकर्मको और इतना ही द्रव्य गोत्रकर्मको भी मिला तथा पूर्वमें जो नाम और गोत्र के हिस्से में आया द्रव्य ९०० है उसमें इसको मिलाने पर ९००४ प्रमाण द्रव्य नामकर्मको तथा इतना ही द्रव्य गोत्रकर्म को भी मिलेगा। पृथक रखे एक भागरूप १०० प्रमाण द्रव्य को पूर्व में प्रत्येक कर्म के हिस्से में आए द्रव्य में आयुकर्म का जो ९०० प्रमाण द्रव्य है उसमें मिलाने से ९००११ प्रमाणद्रव्य आयुकर्म का जानना।
कर्मपरमाणुओं के बँटवारे की सन्दृष्टि | वेदनीय मोहनीय ज्ञानावरण दर्शनावरण | अन्तराय| नाम | गोत्र आयु कुल जोड़
७२
९००
९००
९००
९००
७२००
८००
Loo
८००
८००
८००
८००
१००
९००
२४३
२४३
२४३
१४५८
१४५८
| १७०० ९८८६ ९०३३४३९०३४३ ९०३३४३९००६००४९०११००, २००३०३ ८१०० |